Book Title: Logassa Ek Sadhna Part 01
Author(s): Punyayashashreeji
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh Prakashan

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Page 170
________________ मानस तीर्थ में सदा परमात्मा का आश्रय लेकर स्नान करना चाहिए। शरीर को केवल पानी में भीगों लेना ही स्नान नहीं कहलाता। सच्चा स्नान तो उसी ने किया है जिसने मन, इंद्रिय के संयम रूपी जल में गोता लगाया है वही बाहर और भीतर से पवित्र माना गया है । " कहा जाता है कि गौ हत्या के पाप को धोने के लिए श्री कृष्ण की अनुमति लेकर पांडव सपरिवार तीर्थ करने के लिए गये। श्री कृष्ण ने उन्हें अपनी तुंबी देते हुए कहा - जिस तीर्थ में तुम एक बार नहाओं उस तीर्थ में इसे दो बार नहला देना । अस्तु ! कहकर पांडव पुष्कर, कुरुक्षेत्र आदि अनेक तीर्थों में घूमे एवं स्वयं नहाकर तुम्बी को भी नहलाया। लौटते समय उसे गंगा जल से भर लाए। तुम्बी ज्योंहि श्री कृष्ण के चरणों में उपस्थित की गई उन्होंने उसका एक टुकड़ा तोड़कर मुँह में लेते हुए कहा - एरे तुंबड़ी कड़वी रे भाई, सब तीरथ फिर आई । गंगाजी नहाई, गोमतीजी नहाई, अजु न गई कडवाई । जिया मांजता क्यों न मना रे, जामें अन्तर मैल घना रे ॥ भाईयों तुमने इस तुंबी को पुरे तीर्थ नहीं करवाये, अन्यथा यह अवश्य मीठी हो जाती। चौककर पांडवों ने उत्तर दिया- भगवान ! क्या पानी से धोने पर कड़वी वस्तु कभी मीठी हो सकती है ? श्री कृष्ण मुस्कराकर बोले- यदि नहीं होती तो फिर तुम्हारी आत्मा कैसे शुद्ध हुई? विस्मित युधिष्ठिर ने पूछा- तो फिर पाप शुद्धि के लिए हमें क्या करना चाहिए ? प्रत्युत्तर में श्री कृष्ण ने कहा आत्मा नदी संयम पुण्य तीर्था, सत्योदका शीलतटा दयोर्मिः । तत्राभिषेकं कुरु पांडुपुत्र ! न वारिणा शुद्धयति चान्तरान्मा ॥ इंद्रियों का संयम ही जिसका पुण्य तीर्थ है, सत्य जिसका जल है, शील जिसका किनारा है और दया जिसमें लहरियों की माला है, हे युधिष्ठिर ! ऐसी आत्मा रूपी नदी में स्नान करो। केवल पानी में स्नान करने पर अन्दर की आत्मा शुद्ध नहीं हो सकती । श्रीमद् राजचन्द्र ने बहुत यथार्थ कहा है कि केवल ताप सहने से ही मुक्ति मिल जाती तो पतंगा, तितली आदि दीपक की असह्य ज्वाला को सहन करते हुए उसमें जल जाते हैं उनको तो मुक्ति मिलनी ही चाहिए न? जल में स्नान करने से ही मोक्ष मिल जाता है तो जलचर जीव तो हमेशा जल में ही रहते हैं, उनका तो मोक्ष सबसे पहले होना चाहिए? जटा धारण करने से ही मुक्ति मिल जाती हो तो १४४ / लोगस्स - एक साधना - १

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