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जप विधि
जिस कोष्ठक में जो अंक है वह उन उन तीर्थंकरों का वाचक है उतनी ही संख्या के उनका जाप करना चाहिए जैसे : २२ ॐ ह्रीं श्रीं अर्हम् नेमिनाथाय
नमः - २२ बार ।
एक बार छंद को पुरा बोलें फिर प्रथम खाने में स्थित २२ की संख्या के अनुसार ॐ ह्रीं श्रीं अर्हम् नेमिनाथाय नमः २२ बार बोलें, फिर छंद को बोलें और दूसरे खाने में स्थित तीन की संख्या के अनुसार ॐ ह्रीं श्रीं अर्हं संभवनाथाय नमः तीन बार बोले- इस क्रम से छंद के साथ यंत्र की स्वाध्याय अथवा मंत्र जप अत्यन्त प्रभावशाली होता है ।
केवल २१ बार छंद बोलना भी प्रभावशाली है । जप इस प्रकार करना
चाहिए ।
२२ ॐ ह्रीं श्रीं अर्हं नेमिनाथाय नमः
०३ ॐ ह्रीं श्रीं अर्ह संभवनाथाय नमः ०६ ॐ ह्रीं श्रीं अर्हं सुविधिनाथाय नमः १५ ॐ ह्रीं श्रीं अर्हं धर्मनाथाय नमः १६ ॐ ह्रीं श्रीं अर्हं शांतििाथाय नमः १४ ॐ ह्रीं श्रीं अर्हं अनंतनाथाय नमः २० ॐ ह्रीं श्रीं अर्हं मुनिसुव्रत स्वामिने नमः २१ ॐ ह्रीं श्रीं अर्हं नमिनाथाय नमः ०२ ॐ ह्रीं श्रीं अर्ह अजितनाथाय नमः ०८ ॐ ह्रीं श्रीं अर्हं चन्द्रप्रभवे नमः ०१ ॐ ह्रीं श्रीं अर्हं ऋषभनाथाय नमः ०७ ॐ ह्रीं श्रीं अर्हं सुपार्श्वनाथाय नमः १३ ॐ ह्रीं श्रीं अर्हं विमलनाथाय नमः
१६ ॐ ह्रीं श्रीं अर्हं मल्लिनाथाय नमः
२५ ॐ ह्रीं श्रीं अर्हं श्री गौतम स्वामिने नमः (श्री पुष्पदंत स्वामिने नमः )
१८ ॐ ह्रीं श्रीं अर्हं अरनाथाय नमः
२४ ॐ ह्रीं श्रीं अर्हं महावीर स्वामिने नमः
०५ ॐ ह्रीं श्रीं अर्हं सुमतिनाथाय नमः ०६ ॐ ह्रीं श्रीं अर्हं पद्मप्रभवे नमः १२ ॐ ह्रीं श्रीं अर्ह वासुपूज्यनाथाय नमः १० ॐ ह्रीं श्रीं अर्हं शीतलनाथाय नमः
परिशिष्ट-१ / २१७