Book Title: Logassa Ek Sadhna Part 01
Author(s): Punyayashashreeji
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh Prakashan

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Page 225
________________ १. जिन २. परा ३. अनंता ४. अनंतानंता सर्वावधि ५. ६. बीजबुद्धि ७. पदानुगाबुद्धि ८. सभिन्न श्रोतोपलब्धि ६. क्षीर लब्धि १०. मध्वाम्नव लब्धि ११. अमृतास्रव लब्ध १२. अक्षीणौषधि १३. जल्लौषधि १४. खेलोषधि १५. आ १६. अग्निमौषधि १७. वैक्रिय लब्धि २४. विद्या सिद्ध २५. नभोगम २६. दीप्तलेश्या २७. शीत लेश्या २८. तेजोलेश्या २८. दृष्टि विष ३०. आशी विष ३१. वाग् विष ३२. चारण ३३. महास्वान ३४. तैजस् ३५. वाद्य ३६. अष्टांग निमित्त ३७. ३८. ३६. ४०. ४१. मनः पर्यवज्ञानी ४२. अवधि ज्ञानी प्रतिमा प्रतिपन्नक जिनकल्प अणिमादि अष्ट सिद्धि केवली १८. नर्व लब्धि १६. ऋजुमति २०. विपुलमति २१. जंघाचारण २२. विद्याचारण २३. प्रज्ञा मुनि उपरोक्त लब्धियों में से एक-एक लब्धि के साथ २० - २० विद्याएं जुड़ी हुई हैं, इस प्रकार हजार विद्याएं फलित होती हैं । इनका प्रयोग बंधन मुक्ति, रोग-नाश आदि अनेक प्रयोजनों के लिए किया जाता रहा है। 1 ४३. ४४. ४५. ४६. उग्र तपस्वी दीप्त तपस्वी चतुर्दश पूर्वी एकादशांक वित्त इस संदर्भ में नमस्कार महामंत्र चिकित्सा एवं लोगस्स चिकित्सा आदि आध्यात्मिक चिकित्साओं की न कोई प्रतिक्रिया ( रिएक्शन) है, न कोई संक्रमण (इन्फैक्शन) है, न कोई अतिरिक्त प्रभाव ( साइड इफैक्ट ) है और न कोई पश्चात् वर्ती प्रभाव (आफ्टर इफैक्ट ) है, यह पूर्णतया सुरक्षित चिकित्सा पद्धति है । इनसे मानवीय मस्तिष्क तथा हृदय असाधारण रूप से प्रभावित होते हैं । वैज्ञानिक अनुसंधानों द्वारा जाना गया है कि मंत्रोच्चारण से ध्यान की गहराई में मन को लोगस्स : रोगोपशमन की एक प्रक्रिया / १६६

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