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तीस बार 'स' का उच्चारण निम्नोक्त मीस आध्यात्मिक शक्तियों के साथ अनंत शक्तियों के जागरण की अपूर्व एवं अभूत क्षमता रखता है, जो निम्न हैं
१. स्वत्त्व की पहचान
सम्यक्त्व की स्थिरता
२.
३. स्थितप्रज्ञता
४. सद्ज्ञान
५. सदाचरण
६. सद्ग
७. स्वतंत्रता
८. सृजनशक्ति
६.
१६. सत्य
१७. सचिन्तन
१८. सद्भावना
१८. सामंजस्य
सकारात्मकता
२०. सौहार्द
२१. सुरक्षा
२२.
सफलता
२३. सक्रियता
२४. सांस्कृतिक मूल्य
२५. सिद्धान्त
१०. स्वास्थ्य ११. सौन्दर्य
२६. सत्सकंल्प
१२. सुव्रत
२७. स्मरणशक्ति २८. संयम
१३. सरलता
१४.
स्खलना संशोधन १५. संबोध
२६. संतुलन ३०. सिद्धि
‘स’ का घर्षण पाचन तंत्र को सुदृढ़ और स्वस्थ बनाता है। पाचन के साथ नींद, शांति, स्वास्थ्य, सुन्दरता, सचिन्तन आदि का संबंध जुड़ा हुआ है । 'स' का चन्द्रबिंदु सहित एक हजार बार उच्चारण लीवर में ऐसा घर्षण करता है कि कुछ दिनों के अभ्यास से बढ़ा हुआ लीवर भी ठीक हो जाता है ।
जब लोगस्स में समागत एक 'स' वर्ण भी शक्ति जागरण का महत्तम और शक्तिशाली प्रयोग है तो हम अनुमान ही नहीं लगा सकते हैं जिसका प्रत्येक अक्षर मंत्राक्षर के रूप में गुथित है, उस लोगस्स महामंत्र व महासूत्र की असीम व अनंत शक्ति का ।
इस प्रकार कर्म निर्जरा व रोगोपशमन का दोहरा लाभ होता है। यदि दर्द के स्थान पर मन को ध्यान के रूप में केन्द्रित कर नमस्कार महामंत्र, लोगस्स, णमो लोए सव्व साहूणं अथवा आरोग्ग बोहि लाभं समाहिवर मुत्तमं दितुं का जप किया जाता है तो इनके वर्णाक्षरों की विद्युत चुम्बकीय तरंगें पहले तो उस स्थान को संज्ञाशून्य करती हैं, फिर दर्द खींच लेती हैं और वह स्थान दर्द शून्य हो जाता है । इसको ऐसे समझे जैसे दर्द मिटाने के लिए डॉक्टर इलेक्ट्रिक शॉक लगाता है और चुम्बकीय प्रणाली का चिकित्सक चुम्बक के उत्तरी - दक्षिणी ध्रुवों का प्रयोग करता
है ।
लोगस्स देह संरचना के रहस्य / ६६