Book Title: Lexicographical Studies In Jaina Sanskrit
Author(s): B J Sandesara, J P Thaker
Publisher: Oriental Institute

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Page 182
________________ 16 भोज भोजनवारा म० मङ्गलवार मज्जाजैन कण्ठे बड़ा वाप्यन्तः पपात | 103.26-28. [This is current in Old Guj. also. Vide e.g.: करीउ पराण, कठव्या हाथी, तुरक चख्या गढ चांपर --- वरती भेल देवकर पाटणि . पाख्या .पोलि पगार. -Kanhadadeprabandha, I.85cd 86ab. cf. Mod. Guj. भेलाडवू; Mar. मेलण. . ... n. appears to be the same as भूर्ज. देवं नमस्कुर्वद्भिभौजमेकमागतं दृष्टम् । देवार्चकः पृष्टः-रे! किमिदम् । देव ! प्रत्ययान् परयति । चिन्तितम्-जिनशासनस्य मुख्यमिदं तीर्थम् , परं तत्र कपी मिथ्यात्वी जातः; एतन सुन्दरम् । 99.12-13. [ भोज is the Gujarati derivative of Skt. भूर्ज.] f. a feast or caste-dinner. 32.27. Vide PK. adj. short form of , an honorific term prefixed to the name of a respectable man; lit.: 'agreat or elderly man'. राजा म० तेजःपालस्य कुपितः। 73.23. Vide महं०, मं0; also vide PK. महन्तक. m. Tuesday. 25.II, I4. m. a staunch follower of the Jaina religion ; a Jaina to the a. core; lit. : 'a Jaina to the sinews'. 47.8; 49.8; 78.28. m. a couch. 133.15. Vide PC. the head-ship of a monastery. This appears to be the same as मठाधिपत्यम्. But it is not a scribal error, for the insertion of the letter 'घि' would not suit the metre. अधिकारात् त्रिभिर्मासैर्मठापत्याधिभिदिनैः । शीघ्रं नरकवाग्छा चेदिनमेकं पुरोहितः ॥ 128.21. f. a whole piece of cloth? तदनु द्रम्मसहस्र (३०००) वासणे प्रक्षिप्य एका त्रिपद्धकूला महिया । 49.27--- m. a jeweller. 33.10; 132.9. Vide PC., PK. [1] to build. सूत्रधारामाइयोक्तम्-तादृग्गृहं मण्डयत यत्र सप्तान्वयिनः खादन्ति पिबन्ति च । 2.7-8;एकदा श्रीशत्रुजये शोपरि कपर्दियक्षप्रासादः प्रारब्धः । पाषाणान् विदार्य मण्डयध्वम् । 64.17-18. [2] to draw a figure). ततोऽत्र वाटिकादारि जिनप्रतिमा मण्डयध्वम् । 105.6... [3] to set, to arrange. स्वर्णलाले द्वात्रिंशत्कच्चोलकैर्वृते मण्डिते क्षीरमयं पकानं परिवेषितम् । 17.23-243; कोऽपि स्थालं न मण्डयति । मन्त्रिणो मञ्चक मठापत्य n. मड्डि मणिकार Vमण्ड्

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