Book Title: Kathakosha Prakarana
Author(s): Jineshwarsuri, 
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai

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Page 15
________________ विषयानुक्रमणिका। पृष्ठ ८५ " पृष्ठ मनोरथथावककी कथाका सार ७ जिनवन्दने विष्णुदत्त नागदत्तकथानकम् ३८-३९ रामका कहा हुआ लौकिक आख्यान ८४ ८ जिनगुणगाने सिंहकुमार ३९-४९ दत्तका कहा हुआ आख्यान ९ साधुवैयावृत्त्ये भरतचक्रवर्ति ५०-५५ पाश्वेश्रावकका कहा हआ कथानक ८७ १० साधुदानफले शालिभद्र ईश्वरकथानक कृतपुण्य ६५-६९ यक्ष श्रावकका कथानक १२ " आर्याचन्दना ७०-७१ वनदानपर धनदेवकी कथा मूलदेव ७२-७४ जैनमन्दिरोंकी पूजाविधिक विषयमें पूर्णश्रेष्टि ७४-७६ कुछ विचारणीय चर्चा सुन्दरी ७६-७८ जिनमन्दिरके विधान विषयमें मनोरथ ७८-८४ धवलवणिकपुत्रकी कथा [रामकथितलौकिकाख्यानकम्] ७९-८० कुन्तला रानीका आख्यान [दत्तश्रावककथिताख्यानकम् ] ८०-८१ सावधाचार्यका आख्यान । पार्श्वधावकोक्त पुण्डरीकाख्यानम् ] ८२-८३ वणिक्पुत्र दृष्टान्त १०० [पार्श्वश्रावककथितमीश्वराण्यानम् ] ८३-८४ संप्रदायभेद होनेके सूचक कथानक १०६ हरिणकथानकम् ८५-९० गुरुविरोधी मुनिचन्द्र साधुका कथानक १०७ घुतदान ९१-९२ श्वोताम्बर-दिगम्बर संघर्ष सूचक कथा ११० वसतिदान ९२-९३ जैन और बौद्ध भिक्षुओंके संघर्षकी कथा १११ क्खदान ब्राह्मण धर्मीय सांप्रदायिकों के साथ जैन वरश्राद्ध ९४-९५ __ साधुओंका संघर्ष सुभद्रा त्रिदंडी भक्त कमलवणिक्का कथानक ११६ ९५-१०१ २३ , मनोरमा शौचवादी ब्राह्मण भक्त कौशिक वणिक्का " १०१-१०४ कथानक २४ शासनोन्नतिकरणविषयकश्रेणिक , १०४-१०५ ब्राह्मणके उपद्रवसे जैन साधुकी रक्षा २५ , , दत्त " कका कथानक १२० २६ शासनदोषोद्भावने जयदेव ,, १०६-१०९ जिनेश्वर सूरिका विविध विषयक २७ , , देवड , १०९-११२ शास्त्रोंका परिज्ञान ___ १२३ २८ " " दुद्द , ११२-११३ २९ साधुगणदोषदर्शने कौशिकवणिक , ११३-११४ ३० , , कमल , गणधरसार्धशत प्रकरणान्तर्गत जिनेश्वर ३१ साधुजनापमाननिवारणे धनदेव , ११७-१२५ सूरि चरितवर्णनम् १-२२ ३२ विपरीतज्ञानफले धवल , १२५-१३५ खरतरगच्छपट्टावलिगतोल्लेख २३-२४ [सारद्याचार्यकथानकम्] के कथाकोषप्रकरण मूलग्रन्थानुक्रम के [वणिग्दारकदृष्टान्तः] ग्रन्थकारसूचितअभिधेयप्रयोजनादिकम् | ३३ जैनधर्मोत्साहप्रदाने प्रद्युम्नराज , १३५-१५० १ जिनपूजाविषयक शुकमिथुनककथानकम् २-११ ३४ विपरीतधर्मकथाकरणे मुनिचन्द्रसाधु , १५०-१६० नागदत्तकथानकम् ३५ शासनोन्नतिकरणे जयसेनरि ११-२१ , १६०-१७१ जिनदत्त २१-२७ ३६ जैनधर्मोत्साहप्रदाने सुन्दरीदस , १७१-१७९ सूरसेना २७-३४ कथानकगतवक्तव्यशेषम् १७९ श्रीमाली ग्रन्थलेखकप्रशस्तिः १८१ ६ , रोरनारी ३७-३८ ! कथानककोशप्रकरण-मूलसूत्रपाठ १८२-१८४ परिशिष्टात्मक । । । । । Mmm Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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