Book Title: Jivsamas
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 10
________________ vili जीवसमास गाथा पृष्ठ संख्या विषय बादर पर्याप्त वायुकाय की क्षेत्र स्पर्शना अजीव द्रव्यों का क्षेत्र-परिमाण १८१ १५० १५० १८२ १८४ १८५ १८६ भाग ४ स्पर्शन-द्वार लोक का संस्थान (आकार) तिर्यक लोक विवेचन जम्बूद्वीप पातकी खण्ड पुष्करा असंख्यातद्वीप समुद्र अधोलोक विवेचन ऊर्ध्वलोक विवेचन मनुष्यों में सात समुद्घात अन्य जीवों में समुदयात केवली समुद्घात मिथ्यात्वी, सासादनी, मिश्र सम्यग्दृष्टि तथा देशविरति गुणस्थानवर्ती की स्पर्शना प्रमत्तसंयत की स्पर्शना गुणस्थान की अपेक्षा देवों की स्पर्शना गुणस्थानों की अपेक्षा मनुष्य, तिथंच तथा विकलेन्द्रिय जीवों की स्पर्शना अजीव द्रव्यों की स्पर्शना १५१ १५२ १५३ १५४ १५४ १५५ १५६ १८७ १८८ १८९ १५० १९२ १५३ १९४ १५७ १६१ १६१ १९५ १९६ १९७ १६१ १६३ १६३ १९८ १६४ १६५ २०० २०१ १६६ १६६ भाग ५ काल-द्वार १. मवायुकाल नारकी जीवों का भवायु काल नारक एवं देव की जघन्यायु देवों का भदायु काल एकेन्द्रिय की भवायु काल द्वीन्द्रिय का भवायु काल पञ्चेन्द्रिय तिर्यञ्च का भवायु काल सर्व तिर्यञ्चों का जघन्य आयु काल २०३ २०४ २०७ २०८ २०५ २१५ १६७ १६७ १७० १७० १७० १७१

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