Book Title: Jivsamas
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 8
________________ जीवसमास गाथा पृष्ठ संख्या १२२ १२३ १२५ १२६ विषय सुक्ष्म उद्धार पल्योपम का परिमाण सागरोपम का परिमाण बादर अद्धा पल्योपम का परिमाण सूक्ष्म अद्धा पल्योपम परिमाण अद्धा सागरोपम परिमाण उत्सर्पिणी-अवसर्पिणी काल पुद्गल परावर्तन का काल कर्मस्थिति, कायस्थिति, भवस्थिति क्षेत्र पल्योपम का परिमाण क्षेत्र सागरोपग का परिमाण १७ १२८ १२५ १३० १३१ १३२ १३४ १३५ १३६ १०० १०० १३७ ४. भाव-परिमाण श्रुत एवं गणितीय संख्या गणितीय संख्या असंख्यात के प्रकार अनन्त के प्रकार संख्यात्त का निरूपण असंख्यात का निरूपण अनन्त का निरूपण ज्ञान दर्शन एवं चारित्र नयों के प्रकार १३८ १३९ १०० १०४ १३५ १३५ १०५ १०७ १४५ १०५ १४३ १४३ ११३ १४४ १२० १४५ १२० जीवद्रव्य-परिमाण सास्वादन एवं मिश्र गुणस्थानवी जीवों का परिमाण अविरति, सम्यग्दृष्टि, देशविरति, प्रमत्त संयत व अप्रमत्तसंयत जीवों का परिमाण उपशामक जीवों का परिमाण क्षपक जीवों का परिमाण नरक में मिथ्यादृष्टि जीवों का परिमाण तिर्यञ्च पञ्चेन्द्रिय में मिथ्यादृष्टि जीवों का परिमाण वैक्रियलब्धिधारी मिथ्यादृष्टि जीवों का परिमाण १४६ १४७ १४८ १४५ १२१ १२१ १२३ १२४ १५० १२६ १५१ १२७

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