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॥ सतरहनेदी
ऊडे । मोमन प्राण आधार ॥ ४ ॥रे संसारी प्राणिया। चढयो न गढ गिरनार । गंगा न्हाये न गोमती । गयो जमारो हार ॥ ५॥ धन वाराणी राजेमती। धन वे नेम कुमार। शील संयमता शादरी। पोहतानव जल पार ॥६॥ दया गुणां की वेलफी। दया गुणां की खान अनंत जीव मुगतै गया । इण दया तणे पर माण ॥ ७॥ जग में तीरथ दोय बझा सेबूं जो गिरनार । इण गिर रिषन समो सरे उण गिर नेम कुमार ॥ ८॥
अगर सेलारस सार सुमति पजा शाठमी। गंध बटी घन सार । लावो जिन तनु नाव सुं ॥१॥
॥राग सोरठी॥ ___ कुंद किरण शशि जजलो जी देवा । पा वन घन घनसारो जी। शाडो सुरनि सखर मृग नालिजा जी देवा । चुन्न रोहण अधि कारो जी। शा० बस्तु सुगंध जब मोरि यो जी देवा ।शशुल करम चूरीजै जी आ० शंगण सुरतस मोरियो जी देवा । तब कु
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