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॥ नवपदपूजा ॥
ग्दर्शन तेह नमीजे। जिनधर्मे दृढरंगे रे न. सि०॥ २ ॥ पंचवार उपसम लहिजै। यउ पशमियशसंख । एकवार दायक तेसम्पग। दर्शन नमीये असंख रे न० सि० ॥३॥ जे विणनाण प्रमाण नहोवें। चारित तरुनविफ लिन । सुखनिर्वाणन जे विण लहिये। सम कित दर्शन वलिन रे न० सि० ॥ ४ ॥ सफ सहबोले जे शलंकरिन । ज्ञान चारितगंमूल । शमकित दर्शन ते नित प्रणमुं । शिव पंथy एनुकूल रे न० सि० ॥ ५॥
॥ढाल ॥ शमसंवेगा दिकगुणा । क्यउपसम जेआ वेरे दर्शन तेहिज शतमा । स्युं होवें नाम धरावें रे वी० ॥ १ ॥
लोक ॥ ॥ विम० जी परम० दर्शन प०६॥
॥ इतिश्री षष्ठम पद पूजा ॥
॥ अथसप्तम ज्ञान पद पूजा ॥
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