Book Title: Jin Pooja Sangraha
Author(s): Ramchandra Gani
Publisher: Rushi Nankchand
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
१९०
। पा००पू० ॥
am
-
॥दोहा॥ शकल अगोचर शगमगम । सिझनएसु वि शुछ॥ परमातम प्रनु परम पद चिदा
नंद शविर ॥१॥ ॥ रागधनासरी तेजतरणिमुखराजें एचाल ॥
तेजतरणि समराजै। प्रनुजीकोते० ॥ ए कसमयप्रनु अरधगतिकर । मुक्तिमहल सुवि राजै प्र० ते० ॥ १ सादिशनंत सदासाश्वत वरअनंत महासुखबाजै। अचलअगोचर पनु शविनाशी सिझ सरूप विराजै प्र० ॥२॥ निरुपाधिकनिरुपम सुखपूनुके । कहिनसकै कविराजै ॥ शजर अमर अक्षय विकारी सकलानंद सहाजै प्र० ॥ ३ ॥ संवत उगणी सेंतेरोत्तर । श्रावण सुदिपखराजै ॥श्रीजिन राज तणा गुणगाया। पंचमि दिवस समा जै॥ ४ ॥ श्रीविकम पुरनगर मनोहर । श्री संघ सकल समाजै ॥ पंच कल्याणक पूजापू जुकी। कीनीहित सुखकाजै पु० ॥५॥श्री खरतरगछ नायक लायक । युगप्रधान पद बाजै ॥ जंगमगुरु नहारकवरश्री । जिनसौ जाग्य सुराजै पु० ॥६॥ श्रीषीत विलास ध
-
-
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212