Book Title: Jin Pooja Sangraha
Author(s): Ramchandra Gani
Publisher: Rushi Nankchand

View full book text
Previous | Next

Page 209
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २०६ ॥ दादाजीकी अष्टप्रकारी ॥ ! यानित स्वाहा ॥ ३ ॥ पुष्प पूजा ॥ सरल तंदुलकै रति निर्मलैःप्रवर मौक्तिक पुंज बक्तज्वलैः सकलमं० ॥ ४॥ नही जिनकुशल सूरि चरण कम० अदतं निर्वपा० स्वाहा ॥ इति शक्त पूजा ॥ बजविधैश्चरुनिर्बटकादिक । प्रचुर मोदक पुंज सुखजकैः सकलमं० ॥ ५॥ नझी श्री जिन कुशल० नैवेदांनि०॥ शतिसुदीप्तिमयैः खलुदोपकै विमलकांचन नाजन संस्थितैः सकलमं० ॥ ६ ॥ हाश्री जिनकुशाल० दीपंनि०॥ शगरुरचंदन धूपदशांगजैः प्रसरिताखिल दिक्ष सुधमकैः सकलमं० ॥७॥ जाश्रीजिन कुशल० धूपंनि० ॥ पनसमोचसदाफल क टैः सुसुखदैःकिलश्री फलचिर्नटैः सकलमं०८ जात्री जिनकुशल फलानि०॥ जलसुगंधप्रसूनसुतंदुलै श्रुप्रदीपकधूपफला दिनिः सकलमं०॥९॥जी श्रीजिनकुशल० सुर्घ नि० ॥ ९॥ इतिजिनकुशलसूरिपूजाष्टकं ॥ इति श्रीजिनपूजा संग्रह है। - - - For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 207 208 209 210 211 212