Book Title: Jin Pooja Sangraha
Author(s): Ramchandra Gani
Publisher: Rushi Nankchand
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॥ दादाजीकी अष्टप्रकारी ॥ २०५
तासचरण कजसेवकमधुकर परल्स्थलीन श्री जिनपूजा गाइये जिनवाणी रसपीन ॥ २ ॥ संवतगुण युगअचल इंदु हर्षनरि गाइयो श्रीजिनेंदु तासफल सुकृतथी सकलप्राणी ल ह्योज्ञान उदोत धनशिव निसाणी ॥ ३ ॥ इतिजिनवर नहीपरमप० अर्घयजास्वाहा शक्रोयथा० झोपरम० वायजामहेस्वाहा
इति श्री अष्ट प्रकारी पूजा संपूर्णा ॥ ॥ अथ दादाजीकी अष्ट प्रकारी पूजा ॥ सुरनदी जलनिर्मल धारया। प्रबल दुष्कृत दाघनिवारया । सकलमंगल बांबित दायकं कुशल सूरिगुरोश्चरणंयजे ॥ १ ॥ जी श्री जिन कुशाल सूरिचरण कमलेन्यो जलं निर्व पामिते स्वाहा ॥ इति जल पूजा ॥ मलयचंदनकेसरवारिणानिखिलजान्य रुजा तपहारिणा सकलमं० ॥३॥ नझी श्रीजिन कुशल सूरि गुरु चरण कमलेन्यः चंदनं नि ईयामिते स्वाहा ॥ २ ॥ चंदन पूजा ॥ कमल केतकि चंपक पुष्पकैः परिमला इत षट्पद बंदकैः सकल० ॥३॥र्ना श्री जिन कुशल सूरि गुरुचरण कमलेच्यः पुष्पं निई
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