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| नवपदपूजा ॥
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(१)
ध्यान । अरिहंत पद पूजा करो । निज २ सगति प्रमाण ॥ २ ॥
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॥ ढाल ॥
तीजे नव वर थानक तपकरि जिण बां ध्युं जिन नाम । चोसठ इंद्र पूजित जे जिन । कीजे तास प्रणाम रे ॥ १ ॥ जविका सिञ्चक पद वंदो जिम चिर काल यानं दो रे ज० ॥ उपशम रसनो कंदो रे ज० ॥ रत्न त्रयीनो वृंदोरे ज० | बंदी नें खानंदो रे ज० ॥ सेवे सुर नर इंदो रे नवि० ॥ १ ॥ जेहनें होइ कल्याणक दिवसे । नरके पिण उजवालुं । सकल अधिक गुण अतिशय धारी ते जिन नमि घटालुं रे ज० ॥ सि० २ ॥ जे तिहुं नाण समग्ग उपन्ना | जोग क रम खीण जाणी । लेइ दीक्षा शिक्षा दिये जन नें । ते नमिये जिन नाणी रे ज० ॥ सि० ॥ ३ ॥ महा गोप महा माहण कहिये । नियामक सत्य वाह । नृपमा एहवी जेहनें बाजे । ते जिन नमिये उबाह रे ज० ॥ सि० ४ ॥ याठ महा प्राति हारज बाजे । पैंतीस गुण युत वांणी ॥ जे प्रतिबोध करे जग जन