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॥ नवपदपूजा ॥
अनंता आदरी स्वस्वनाव। गुण पर्याय पर णित । सिछ साधन परनणी । मुनिराज मानसहंससमवानमो सिझ महा गुणी १ ॥
॥ ढाल ॥ . . समय पएसंतर शण फरसी । चरमति जाग विशेष । अवगाहन लहि जे शिव पुं हता ॥ सिछ नमो ते अशेषरे न० ॥ १ ॥ पूर्व प्रयोग में गति परिणाम । बंधन बेद। शसंग । समय एक उगति जेहनी ॥ ते सिझ प्रण मो रंगे रे न० ॥ २ ॥ सि० ॥ निर्मल सिछ सिलाने ऊपर जोयण एक लो . गंत सादि अनंत तिहां थित जेहनी ते सिछ प्रणमो संतरे न० सि०॥३॥ जाणे पिण नस के कहि । परगुण प्राकृत तिम गुण जास। नपमा विण नांणी नव मांहे। ते सिह दिन जल्लास रे न० ॥ ४ ॥ जोतिसुं जोति मिली जस अनुपम । विरमी सकल जपाधि । शात म राम रमापति समरो। ते सिह सहज समा धिरेन०॥५॥..
॥ ढाल ॥ रूपातीत स्वनाव जे । केवल दंसण ना
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