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॥ नवपदपूजा ॥
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नें । ते जिन नमिये प्राणी रे ज० ॥ सि० ॥ ॥ ढाल सीमंधर स्वामी उपदिसे एदेशी ॥ अरिहंत पद ध्यातां थकां ॥ दह गुण पताये रे । नेद छेद करि श्रातमा । अरिहंत रूपी धाये रे ॥ २ ॥ वीर जिणेसर उपदिसे सांजल ज्यो चित लाई रे ॥ प्रातम ध्यानें छातमा । रिद्धि मिलें सऊ आई रे ॥ वी० ॥ ॥ लोक ॥
॥ विमल केवल ० हुँ । छा परमात्मने० ॥
॥ इति प्रथम पद पूजा ॥
॥ अथ द्वितीय पद पूजा ॥
॥ दोहा ॥ दूजी पूजा सिठ की ॥ कीजे दिल खुसि याल ॥ सुन कर्म दूरे टलें । फलें मनोरथ
माल ॥ १ ॥
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॥ छंद ॥ सिद्धाण माणंद रमालयाणं । णमो णमो णंत चउक्क्याणं समग्ग कम्म स्कयकारयाणं