Book Title: Jain Vidya 26
Author(s): Kamalchand Sogani & Others
Publisher: Jain Vidya Samsthan

View full book text
Previous | Next

Page 31
________________ 20 15. सिद्धि 16. 17. 18. 19. 20. 21. 22. 23. 24. माणिणी 25. 26. 27. रामा गाहिणी विस्सा वासिया सोहा हरिणी चक्की सारसी कु सिंही हंसिआ 15 गुरु 27 लघु, 42 अक्षर। 32 = 13 चुण्णा कंति धत्ती 12 - 11 10 9 - 8 7 6 5 महामाया - - पंचदहगुरु सत्ताईस लहु त्ति अक्खर वियालीसा । 4 3 47 49 51 54 53 55 1 55 56 1. दंसणपाहुड - इस पाहुड में 36 गाथाएँ हैं, जिसमें कंति, चुण्णा, धत्ती, गोरी, देही, खमा, विज्जा, सिद्धि आदि गाथाएँ हैं। 2 31 33 35 37 39 41 3 435 43 सिद्धि तेरस दिग्घक्खरा य, इगतीस लहु चव्वालीसक्खरा । गुरु लघु अक्षर 18 21 39 16 25 41 19 19 38 जैनविद्या 26 44 45 46 (दं.पा. 1) (दं.पा. 6) (दं.पा. 7) 7 8 9 15 47 48 चदुसट्ठिचमरसहिदो चदुतीसहि अइसएहिं संजुत्ता । अणवर बहुसत्तहिओ, कम्मक्खय कारणणिमित्तो।। 29 ।। दं.पा. 49 50 52 53

Loading...

Page Navigation
1 ... 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100