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भ० महावीर और उनका समय
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परिणतिमें फेरफार करनेका अवसर मिला ।
महावीरकी इस धर्मदेशना और विजयके सम्बन्धमें कविसम्राट् डा० रवीन्द्रनाथ टागोरने जो दो शब्द कहे हैं वे इस प्रकार हैं :
Mahavira proclaimed in India the message of Salvation that religion is a reality and not a mere social convention, that salvation comes from taking refuge in that true religion, and not from observing the external ceremonies of the community, that religion can not regard any barrier between man and man as an eternal verity. Wondrous to relate, this teaching rapidly overtopped the barriers of the race's abiding instinct and conquered the whole country. For a long period now the influence of Kshatriya teachers completely suppressed the Brahmin power.
अर्थात् - महावीरने डंकेकी चोट भारतमें मुक्तिका ऐसा सन्देश घोषित किया कि, धर्म कोई महज़ सामाजिक रूढि नहीं बल्कि वास्तविक सत्य है-वस्तुस्त्रभाव है, -- और मुक्ति उस धर्ममें आश्रय लेनेमे ही मिल सकती है, न कि समाजके बाह्य आचारोंका - विधिविधानों अथवा क्रियाकाण्डोंका - पालन करनेसे, और यह कि धर्म की दृष्टिमें मनुष्य मनुष्यके बीच कोई भेद स्थायी नहीं रह सकता । कहते श्राश्चर्य होता है कि इस शिक्षरणने बद्धमूल हुई जातिकी हदafrat शीघ्र ही तोड़ डाला और सम्पूर्ण देश पर विजय प्राप्त किया । इस वक्त क्षत्रिय गुरुनोंके प्रभावने बहुत समय के लिये ब्राह्मणोंकी सत्ताको पूरी तौर से दबा दिया था ।
इसी तरह लोकमान्य तिलक आदि देशके दूसरे भी कितनेही प्रसिद्ध हिन्दू विद्वानों, अहिंसादिकके विषयमें, महावीर भगवान् अथवा उनके धर्मकी ब्राह्मणधर्म पर गहरी छापका होना स्वीकार किया है, जिनके वाक्योंको यहाँ पर उवृत करने की जरूरत नहीं है— प्रनेक पत्रों तथा पुस्तकोंमें वे छप चुके हैं । महत्मा गांधी तो जीवन भर भगवान् महावीरके मुक्तकण्ठसे प्रशंसक बने रहे । विदेशी विद्वानोंके भी बहुतसे वाक्य महावीरकी योग्यता, उनके प्रभाव और उनके