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तत्त्वार्थ सूत्र के कर्ता कुन्दकुन्द !
सब लोग यह जानते हैं कि प्रचलित 'तत्त्वार्थसूत्र' नामक मोक्षशास्त्रके कर्ता 'उमास्वाति' आचार्य हैं, जिन्हें कुछ समय से दिगम्बरपरम्परामें 'उमास्वामी' नाम भी दिया जाता है और जिनका दूसरा नाम 'गृधपिच्छाचार्य' है । इस भावका पोषक एक श्लोक भी जैनसमाजमे सर्वत्र प्रचलित है और वह इस प्रकार है
तत्वार्थ सूत्रकर्तारं गृध्रपिच्छोपलक्षितं । वन्दे गणीन्द्र संजातमुमास्वातिमुनीश्वरं ।।
परंतु पाठकोंको यह जान कर आश्चर्य होगा कि जैनसमाज मे ऐसे भी कुछ विद्वान हो गये है जो इस तत्त्वार्थ सूत्रको कुन्दकुन्दाचार्यका बनाया हुआ मानते थे । कुछ वर्ष हुए, तत्त्वार्थ सूत्रकी एक श्वेताम्बरीय टिप्पणी को देखते हुए, सबमे पहले मुझे इसका आभास मिला था और तब टिप्पणीकारके उस लिखने पर बड़ा ही आश्चर्य हुआ था । टिप्पणी अन्तमें तत्त्वार्थ सूत्रके कर्तृत्व क्पियमें 'दुर्वादापहार' नामसे कुछ पद्य देते हुए लिखा है :
" परमेतावचतुरैः कर्तव्यं शृणुत वच्मि सविवेकः । शुद्धो योऽस्य विधाता सदूषणीयो न केनापि ॥ ४ यः कुरूंदकुंदनामा नामांतरितो निरुच्यते कैश्चित् । ज्ञेयोऽन्यएव सोऽस्मात्स्पष्टमुमास्यातिरिति विदितात्