Book Title: Jain Sahitya aur Itihas par Vishad Prakash 01
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Shasan Sangh Calcutta

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Page 274
________________ २७० जैनसाहित्य और इतिहासपर विशद प्रकाश यह नाम स्पष्ट नहीं हो सका। 'पासम्ध्यां पलरिकी जगह 'चासीयः पलरि' पाठ देकर पं० जिनदास पार्श्वनाथजी फडकुलेने उसका भयं 'मानन्द नांवच्या गांवात-पानंद नामके गांवमें-दिया है। परंतु इस दूसरे पाठका यह अर्थ कैसे हो सकता है, यह बात कुछ समझमें नहीं पाती । पूछने पर पंडितजी लिखते है "श्रुतपंचमीक्रिया इस पुस्तकके मराठी अनुवादमें समंतभद्राचार्यका जन्म आनंदमें होना लिखा है, " बस इतने परसे ही प्रापने 'पलरि' का अर्थ 'पानंद गांवमें कर दिया है, जो ठीक मालूम नहीं होता; और न प्रापका 'असीद्यः' पाठ ही ठीक जंचता है; क्योंकि 'अभूत' क्रियापदके होनेसे 'प्रासीत' क्रियापद व्यर्थ पड़ता है। मेरी रायमें, यदि कर्णाटक प्रान्नमें 'पल्ली' शब्दके अर्थमें 'पलर' या इमीसे मिलता जुलता कोई दूसरा शब्द व्यवहत होता हो और सप्तमी विभक्ति में उसका 'पलरि' रूप बनता हो तो यह कहा जा सकता है कि 'पासन्ध्यां' की जगह 'आनंयां' पाठ होगा, और तब ऐमा प्राशय निकल सकेगा कि समंतभद्रने 'प्रानंदी पल्ली' में अथवा 'प्रानंदमठ' में ठहर कर इस टीकाकी रचना की है।

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