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उमास्वाति या उमास्वामी ?
दिगम्बर सम्प्रदाय में तत्त्वार्थसूत्रके कर्त्ताका नाम आजकल आम तौरमे 'उमास्वामी' प्रचलित हो रहा है। जितने ग्रन्थ और लेख ग्राम तौरमे प्रकाशित होते हैं और जिनमें किसी न किसी रूपमे तत्त्वार्थसूत्रके कर्ताका नामोल्लेख करनेकी जरूरत पड़ती है उन सबमें प्रायः उमास्वामी नामका ही उल्लेख किया जाता है; बल्कि कभी-कभी तो प्रकाशक अथवा सम्पादक जन 'उमास्वाति' की जगह 'उमास्वामी' या 'उमास्वामि' का संशोधन तक कर डालते हैं । तत्त्वार्यसूत्रके जितने संस्करण निकले है उन सबमें भी ग्रन्थकर्ताका नाम उमास्वामी ही प्रकट किया गया हैं । प्रत्युत इसके, श्वेताम्बर सम्प्रदायमें ग्रन्थकर्ताका नाम पहले ही उमास्वाति' चला आता है और वही इस समय प्रसिद्ध है । अब देखना यह है कि उक्त ग्रन्थकर्ताका नाम वास्तव में उमास्वाति था या उमास्वामी और उसकी उपलब्धि कहाँसे होती है । खोज करनेसे इस विषय में दिगम्बर साहित्यमे जो कुछ मालूम हुआ है उसे पाठकोंके अवलोकनार्थं नीचे प्रकट किया जाता है
(१) श्रवणबेलगोलके जितने शिलालेखों में प्राचार्य महोदयका नाम आया है उन सबमें आपका नाम 'उमास्वाति' ही दिया है । 'उमास्वामी' नामका उल्लेख किसी शिलालेखमें नहीं पाया जाता। उदाहरण के लिये कुछ अवतरण नीचे दिये जाते हैं