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१७२ जैनसाहित्य और इतिहासपर विशद प्रकाश प्राधूनिक 'करहाड ® या कराड़' और कुछने दक्षिणमहाराष्ट्रदेशका 'कोल्हापुर' । नगर बतलाया है, और जो उस समय बहुतसे भटों (वीर-योद्धाओं) से युक्त था, विद्याका उत्कट स्थान था और साथ ही अल्प विस्तारवाला अथवा जनाकीर्ण था। उस वक्त आपने वहाँके राजा पर अपने वादप्रयोजनको प्रकट करते हुए, उन्हें अपना तद्विषयक जो परिचय एक पद्यमें दिया था वह श्रवणबेल्गोलके उक्त ५४ वें शिलालेखमें निम्न प्रकारसे संग्रहीत है
पूर्व पाटलिपुत्रमध्यनगरे भेरी मया ताडिता पश्चान्मालवसिन्धुठक्कविषये कांचीपुरे वैदिशे। प्राप्तोऽहं करहाटकं बहभट विद्योत्कर्ट संकटं
वादार्थी विचराम्यहं नरपते शार्दूलविक्रीडितं ।। इम पद्यमें दिये हुए प्रात्म-परिचयमे यह मालूम होता है कि 'करहाटक.' पहुँचनेमे पहले ममन्तभद्रने जिन देशों तथा नगरोंमें वादके लिये विहार किया था उनमें पाटलीपुत्र ( पटना ) नगर. मालव ( मालवा ), मिन्धु नथा टक्क।
देखो, मिस्टर एडवर्ड पी० राइम बी०ए० रचित 'हिस्टरी अाफ़ कन डीज लिटरेचर' पृ००३।
+देखो, मिस्टर बी. लेविस राइसकी 'इंस्क्रिप्शन्म ऐट श्रवग्गवेल्गोल नामकी पुस्तक, पृ० ४२; परन्तु इस पुस्तकके द्वितीय मंशोधित मम्करणम, जिमे आर० नरसिंहाचारने तैय्यार किया है, गृद्धि पत्रद्वारा कोल्हापुर' के स्थानमें 'कर्हाड' बनानेकी सूचना की गई है।
* यह पद्य ब्रह्म नेमिदत्तके 'पागधनाकथाकोप'मे भी पाया जाता है, परन्तु यह ग्रंथ शिलालेखमे कई सो वर्ष पीछे का बना हुआ है।
कनिधम माहबने अपनी Ancient Geography (प्राचीत भूगोल) नामकी पुस्तक में 'ठक्क' देशका पंजाब देशके साथ ममीकरण किया है (S. I. J. 30); मिस्टर लेविम राम साहवन भी अपनी श्रवणबेलगोलके शिलालेखोंकी पुस्तकमें उमे पंजाब देश लिखा है। और 'हिस्टरी प्राफ. कनहीज़ लिटरेचर' के लेखक मिस्टर ऐडवई पी० राईस माहबने उमे In thee Punjab लिखकर पंजाबका एक देश बतलाया है। परन्तु हमारे कितने ही