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भ० महावीर और उनका समय
४३ बौद्ध ग्रन्थोंमें वही समय बुद्ध निर्वाणसे १६२ वर्ष बाद बतलाया गया है । इससे भी प्रकृत विषयका कितना ही समर्थन होता है और यह स्पष्ट जाना जाता है कि वीरनिर्वाणसे बुद्ध निर्वाण अधिक नहीं तो ७-८ वर्षके करीब पहले ज़रूर हुआ है। - बहुत संभव है कि बौद्धोंके सामगामसुत्तमें वरिणत निगंठ नातपुत्त (महावीर) की मृत्यु तथा संघभेद-समाचार वाली घटना मक्खलिपुत्त गोशालकी मृत्युसे संबंध रखती हो और पिटक ग्रंथोंको लिपिबद्ध करते समय किसी भूल आदिके वश इस सूत्रमें मक्खलिपुत्तकी जगह नातपुत्तका नाम प्रविष्ट हो गया हो; क्योंकि मक्खलिपुतकी मृत्यु-जो कि बुद्ध के छह प्रतिस्पर्धी तीर्थकरोमेंसे एक था-बुद्ध निर्वाणसे प्रायः एक वर्ष पहले ही हुई है और बुद्धका निर्वाण भी उक्त मृत्युसमाचारमे प्रायः एक वर्ष बाद माना जाता है। दूसरे, जिस पावामें इस मृत्युका होना लिखा है वह पावा भी महावीरके निर्वाणक्षेत्र-वाली पावा नहीं है, बल्कि दूसरी ही प्रावा है जो बौद्ध पिटकानुमार गोरखपुरके जिलेमे स्थित कुगीनाराके पासका कोई ग्राम है । और तीसरे, कोई संघभेद भी महावीरके निर्वाणके अनन्तर नही हुआ, बल्कि गौशालककी मृत्यु जिस दशामें हुई है उसमे उसके सघका विभाजित होना बहुत कुछ स्वाभाविक है। इसमे भी उक्त मृत्यु-समाचार-वाली घटनाका महावीरके माथ कोई सम्बन्ध मालूम नहीं होता, जिसके आधार पर महावीरनिर्वागाको बुद्धनिर्वागगसे पहले बतलाया जाता है । । बुद्धनिर्वाणके समय-सम्बन्धमें भी विद्वानोंका मतभेद है और वह महावीरनिर्वाणके ममयमे भी अधिक विवादग्रस्त चल रहा है। परन्तु लंकामें जो बुद्धनिर्वाणसम्वत् प्रचलित है वह सबसे अधिक मान्य किया जाता है-ब्रह्मा, श्याम
और मासाममे भी वह माना जाता है। उसके अनुसार बुद्धनिर्वाण ई० सन्से ५४४ वर्ष पहले हुया है। इससे भी महावीरनिर्वाण बुद्ध निर्वाणके बाद बैठता है; क्योंकि वीरनिर्वाणका समय शकसंवत्मे ६०५ वर्ष (विक्रमसम्वत्से ४७० वर्ष) ५ महीने पहले होनेके कारण ईसवी सन्से प्रायः ५२८ वर्ष पूर्व पाया जाता है । इस ५२८ वर्ष पूर्व के समयमें यदि १८ वर्षकी वृद्धि करदी जाय तो वह ५४६ वर्ष पूर्व होजाता है-अर्थात् बुद्धनिर्वाणके उक्त लंकामान्य समयसे दो वर्ष पहले। अतः जिन विद्वानोंने महावीरके निर्वाणको बुद्धनिर्वाणसे पहले मान लेने की