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जैनहितैषी
ज्वालापुर महाविद्यालय
और गुरुकुल कांगड़ी।
उ क्त दोनों संस्थायें आर्यसमाजकी हैं । पहली 8 संस्था अर्थात् महाविद्यालय हरिद्वारसे लगभग
३ मीलके अंतरपर ज्वालापुरके निकट रेलकी सड़क पर एक बड़े रम्य और विशाल क्षेत्र पर स्थित है। इसे । आर्यसमाजके प्रसिद्ध विद्वान् स्वामी दर्शनानंदनीने स्थापित किया था। इसमें संस्कृत प्रथम भाषा और अँगरेजी द्वितीय भाषाके तौरपर पढ़ाई जाती है। इस समय इसमें लगभग ८० विद्यार्थी अध्ययन कर रहे हैं। समस्त विद्यार्थी ब्रह्मचारी हैं। इनके माता पिताओंने विद्यार्थी अवस्था पर्यंतके लिए इन्हें विद्यालयके संरक्षणमें छोड़ दिया है । इस विद्यालयमें विद्यार्थियोंसे किसी प्रकारकी कोई फीस वगैरह नहीं ली जाती । सम्पूर्ण खर्च विद्यालयको ही उठाना होता है। ___ इस विद्यालयमें जितने अध्यायक हैं, सब विद्वान् हैं। विद्वानोंकी यहाँ बहुत अच्छी मंडली है । यद्यपि यहाँ पर संस्कृतज्ञ विद्वानोंकी ही बहुलता है तथापि इससे अँगरेज़ी आदिकी शिक्षा में किसी प्रकारकी क्षति नहीं रहती है, कारण कि जितने भी कार्यकर्ता हैं सब समयके अनुसार उपयोगी शिक्षाकी आवश्यकताको समझे हुए हैं।
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