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इतिहास-प्रसङ्ग।
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इतिहास-प्रसङ्ग।
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(२०) जम्बुस्वामिका समाधिस्थान । स्टर बी. लेविस राइस साहबने अपनी 'इन्स्क्रिप्शन्स ऐट श्रवणबेलगोला, नामक पुस्तककी भूमिकामें, राजावलीकथे' के आधारपर, लिखा है कि-गोवर्धन महामुनि, विष्णु, नन्दिमित्र और अपराजित नामके
श्रुतकेवलियोंके संग, और पांचसौ शिष्योंके साथ, जम्बुस्वामिके समाधिस्थानकी. बन्दना करनेके लिए कोटिकपुर पधारे थे ( had come to kotikapura in order to do rever. ence at the tomb of Jambuswami ) इससे अन्तिम केवली श्रीजम्बुस्वामिका समाधि-स्थान · कोटिकपुर' नामके नगरमें जान पड़ता है। कोटिकपुरको, राइस साहबने, उसी कथाके आधार पर उक्त भूमिकामें, और रत्ननन्दि नामके आचार्यन, अपने — भद्रबाहुचरित्रों, पुण्ड्रवर्धन देशके अन्तर्गत बतलाया है। और पुण्डूवर्धनको जनरल कनिंद्यमने, बंगाल देशके अन्तर्गत 'बोगरा' के उत्तरकी ओर, ' महास्थान ' प्रगट किया है। परन्तु सूरतसे प्रकाशित : जम्बूस्वामीचरित्र' में जम्बुस्वामिकी निर्वाण भूमि ‘मथुरा'
१ देखो Arch. Surv. Rep. XV, V., 104 and 110.
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