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जैनहितैषी -
आदि कितनी हानियाँ उठानी पड़ी हैं । इन बातोंको अब सभी लोग जानने लगे हैं ।
४ आँटा - साँटा— कन्याव्यवहार के क्षेत्रके संकीर्ण होनेका एक परिणाम आँटासाँट भी है । यदि कोई अपने लड़केका ब्याह करना चाहता है अर्थात् दूसरेकी लड़की लाना चाहता है तो उसे अपनी या अपने भाई बन्धुओंकी एक लड़की उस लड़कीवालेके लड़केके लिए तैयार करके रखनी पड़ती है। इसी दुष्ट प्रथाका नाम आँटासाँटा है । इससे अपने लड़केके स्वार्थ के लिए लड़की चाहे जैसे घरमें झोंक दी जाती है ! विवाहका क्षेत्र विस्तृत होनेसे यह दुष्ट रिवाज़ जड़ मूलसे उखाड़ा जा सकता है अब भी यह उन्हीं जातियोंमें जारी है जिनकी जनसंख्या बहुत थोड़ी हैं।
५ अनमेलविवाह - वर छोटा कन्या बड़ी, कन्या छोटी वर बड़ा, वर मूर्ख और कन्या विदुषी, वर विद्वान् और कन्या मूर्ख, वर दुश्चरित्र और कन्या सुशीला आदि तरह तरहके बेजोड़ विवाह होनेका भी एक कारण विवाहक्षेत्रकी संकीर्णता है । जहाँ चुनावका क्षेत्र छोटा होता है वहाँ इस तरहके अनमेलविवाह लाचार होकर करना पड़ते हैं । आजकल जो लोग अपने लड़के और लड़कियोंको ऊँचे दर्जेकी शिक्षा देते हैं, यदि उनक जाति अल्पसंख्यक है तो उनकी चिन्ताका और शिक्षित लड़के लड़कियोंकी दुर्दशाका कुछ पार ही नहीं रहता । लड़कीक आपने खूब पढ़ाई लिखाई; परन्तु जब ब्याहका वक्त आया त
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