________________
विविध-प्रसङ्ग |
६४९
रही हैं; परन्तु शोक कि हम कुदरतके तत्त्व स्वामियों अर्थात् पुजारी श्रेणियों, साधुओं और ब्राह्मणोंको अपनी लिए इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं ।
जातिकी उन्नति के.
ईश्वर उनकी मदद करता है जो अपनी मदद आप करते हैं ।
टहलराम गंगाराम, जमीदार ।
डेरा स्माइलखां ।
विविध–प्रसङ्ग ।
१ - हमारे धर्मतीर्थ और मुकद्दमेबाजी ।
अ
न्यत्र डेरा स्माइलखाँके जमींदार श्रीयुत गृहलराम गंगारामजीका एक लेख प्रकाशित किया जाता है जिसमें मुकद्दमेबाजी के दोष बतलायें गये हैं और अपने झगड़ोंको अदालतोंतक न ले जाकर पंचायतियों द्वारा तै कर डालनेकी प्रेरणा की गई है। हम अपने पाठकोंका ध्यान उक्त लेखकी ओर आकर्षित करते हैं और इसके साथही जैनतीर्थोंपर जो मुकद्दमें चला करते हैं उनके विषय में विशेषरूपसे विचार करनेकी प्रार्थना करते हैं । हमें कुछ समय के लिए धर्मान्धता और धार्मिक द्वेषको एक ओर रख देना चाहिए और शान्त होकर सोचना चाहिए कि तीर्थोकी मुकद्दमेबाजी में प्रतिवर्ष जो लाखों रुमया खर्च होता है
1
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org