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muammonin
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जैनहितैषीammino __ यदि ये कुशाग्रबुद्धि, चालाक, साहसी, वणिक महाजन अपने इस व्यर्थ परिश्रम द्वारा मुफ्तका असीम धन प्राप्त करनेकी तृष्णाका त्याग कर अपने देशकी सुप्त कारीगरीको जागृत करें अर्थात् इतर बड़े बड़े व्यवसायोंको हाथमें लेकर अपनी तीव्र बुद्धिके खर्चसे स्वार्थ और परमार्थ दोनों सम्पादन करनेका प्रयत्न करें तो क्या ही अच्छा हो । ___ सट्टेके दुर्गुण स्पष्ट हैं, किन्तु राज्यके शासनसे उसे रोकना अतीव कठिन है। साधारण विचार सुधरनेसे बाहरी सट्टा कम होगा किन्तु विचार, सुधारनेके प्रयत्न करनेसे सुधरेंगे और व्यापारसम्बन्धी सुधार इन विषयोंपर तर्क वितर्क अर्थात् चर्चा करनेसे शुद्ध होंगे। प्रोफेसर जेवंसने लिखा है-" सृष्टिभरमें मनुष्यके समान कोई वस्तु नहीं है और मनुष्यमें तर्कके समान दूसरा कोई गुण.नहीं।" इसलिये इस तर्कशक्तिको बढ़ाइये और ऐसी चर्चा करनेके स्थानोंकी योजना कीजिये । हमारे मारवाड़ी भाइयोंमें विशेषकर ऐसी संस्थाओंकी बड़ी आवश्यकता है। यह उनके सौभाग्यका चिह्न है कि बम्बईमें 'मारवाडीसम्मेलन' के अधिपतित्वमें प्रति रविवारको ऐसी चर्चा विषयक ( डिबेटिङ्ग ) अधिवेशन होते हैं, जिसमें गम्भीर विषय उठाये जाते हैं । ऐसी संस्थायें स्थान स्थान पर होनी चाहिये ।
माधवप्रसाद शर्मा।
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