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जैनहितैषी
पतीजकी एक अनोखी संस्था है, परन्तु संसार भरमें जूएका सबसे बड़ा नरक भी वही है।" ___ सट्टेके मुख्य गुण आयात और निकास, उपज और खपकी समतोल रखनेका है, अथात् माल बाजारमें आनेसे पहले ही खरीद लिया जाता है और खपसे ज्यादा होनेपर गोदाममें जमा कर लिया जाता है तथा खपसे उपजके कम होने पर जमा किया हुआ माल बेच दिया जाता है। यों करनेसे भावका तारतम्य कम होता है
और माल नियमित भावसे बिकता है । दैनिक बाजार और मौसमका बाजार एवं भिन्न भिन्न देशोंका बाजार प्रायः एक रहता है। सट्टेके कारण देश देशका व्यापार बढ़ता है और व्यापारके सम्बन्धसे परस्पर विद्या विचार सभ्यता इत्यादिका बड़ा प्रभाव पड़ता है
और देशीय शत्रुता दूर होकर अन्योन्य प्रेमभाव उत्पन्न होता है। किसान लोगोंको एवं मजदूरोंको सट्टेकी चलवलके प्रतापसे सदैव अपने अपने काममें अवकाश नहीं मिलता और बाजारकी चिन्ता किये बिना उन्हें नियमित रोजाना मिलता है, एवं यदि अन्नके कबाले किये हुए होते हैं और माल इकट्ठा हुआ पड़ा होता है, तो दुष्कालके समय प्रजा अन्नके अभावसे पीड़ित नहीं होती। सट्टेमें माल नमूनेसे बिकता है जिससे सौदा सुगमतासे होता है । ईमानदारी, विश्वास और धीजपतीज बढ़ते हैं, जिससे सदर जाइण्ट स्टाक कोओपरेटिव कम्पनियाँ बेङ्क इत्यादि देशको अतुल लाभ पहुँचानेवाली संस्थाओंका निर्माण किया जा सकता है।
सट्टेके गुणकी अपेक्षा उससे उत्पन्न होते हुएं अनिष्ट अधिक प्रबल
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