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सट्टा |
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आश्रय लेनेवाले अवश्य सटोरिये हैं । इसमें कोई सन्देह नहीं । कानूनमें भिन्न भिन्न जजोंकी प्रवृत्ति तथा ज्ञानके अनुसार सट्टा जुआ या व्यापार ठहराया जाता है, इससे सट्टेका खास स्वरूप नहीं जाना जा सकता । कानूनी चिह्न इसका निर्णय करनेमें असमर्थ हैं, परन्तु वास्तवमें हम उस व्यापारको सट्टेके नामसे कलंकित करेगें, जो बूतेके बेहद बाहर है, जो जूएका स्वरूपविशेष है, जिसमें धनी होते उतना ही समय लगता है जितना कि कंगाल होते लगता है । जिसमें 'चान्स " अर्थात् अकस्मात् और ‘भाग्यलक्ष्मी' पर अधिक विश्वास रक्खा जाता है, जिसमें प्रायः सौके सौ टका जोखम रहती है। जो अल्प समय एक वायदे से दूसरे वायदे के लिये क्षण भरमें लिया दिया जाता है, जिसमें निरन्तर त्रास बना रहता है और जिसके करनेवाले संसारके सारे सुखोंको भोगते हुए भी सदा पीडित रहते हैं ।
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सट्टा विश्वव्यापी है | अमेरिका ( न्यूयार्क ), इंग्लेण्ड ( लिवरपुल ) इत्यादि बड़े बड़े देशों में सट्टा होता है । अतः यह एक महान अनिष्ट है, जिसको जडमूलसे उखाड़ना एक बड़ी भारी समस्या है। अमेरिकाके अर्थशास्त्री, प्रोफेसर टासिग लिखते हैं " सट्टेका जोर इतना किसी देशमें नहीं जितना कि अमेरिकाके युनाइटेड स्टेट्स में है । यहाँ सट्टे के सारे साधन उपस्थित हैं । जैसे कि अनेक भागों में विभक्त जङ्गी संस्थाएँ, विश्वव्यापी बाजार, बड़े बड़े सौदे, अतिसाहसी और धनी प्रजा इत्यादि । अतः बहुतेरे अमेरिकन साहूकारोंने सट्टेरूपी जएको ही व्योपार मान रक्खा है । र्थात् शेरबाजार संसार भर में घी -
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न्यूयार्क
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