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ज्वालापुर महाविद्यालय और गुरुकुल कांगड़ी। ६१३ mmmmmmmmmmmm
भोजनशाला, यज्ञशाला तथा स्नानागार यहाँ भी ज्वालापुरके समान उत्तम बने हुए हैं। विशेष बात यहाँ पर यह है कि गुरूकुलको स्थान बहुत मिला हुआ है । स्थानकी अधिकतासे यहाँ पर किसी बातकी त्रुटि नहीं है।
सबसे अच्छी बात जो गुरुकुलमें देखनेमें आई वह वहाँके कार्यकर्ताओं और सेवकोंका प्रेम और शिष्ट व्यवहार है। छोटेसे लेकर बड़े तक सबके सब बड़े ही सभ्य और शिष्ट हैं-प्रेम उनके हृदयोंमें कूटकूट कर भरा हुआ है । __ क्या जैनसंस्थायें भी इन संस्थाओंसे कुछ पाठ सीखेंगी ?
दर्शकदयाचन्द्र गोयलीय।
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