SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 47
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ इतिहास-प्रसङ्ग। ६१९ इतिहास-प्रसङ्ग। edebey (२०) जम्बुस्वामिका समाधिस्थान । स्टर बी. लेविस राइस साहबने अपनी 'इन्स्क्रिप्शन्स ऐट श्रवणबेलगोला, नामक पुस्तककी भूमिकामें, राजावलीकथे' के आधारपर, लिखा है कि-गोवर्धन महामुनि, विष्णु, नन्दिमित्र और अपराजित नामके श्रुतकेवलियोंके संग, और पांचसौ शिष्योंके साथ, जम्बुस्वामिके समाधिस्थानकी. बन्दना करनेके लिए कोटिकपुर पधारे थे ( had come to kotikapura in order to do rever. ence at the tomb of Jambuswami ) इससे अन्तिम केवली श्रीजम्बुस्वामिका समाधि-स्थान · कोटिकपुर' नामके नगरमें जान पड़ता है। कोटिकपुरको, राइस साहबने, उसी कथाके आधार पर उक्त भूमिकामें, और रत्ननन्दि नामके आचार्यन, अपने — भद्रबाहुचरित्रों, पुण्ड्रवर्धन देशके अन्तर्गत बतलाया है। और पुण्डूवर्धनको जनरल कनिंद्यमने, बंगाल देशके अन्तर्गत 'बोगरा' के उत्तरकी ओर, ' महास्थान ' प्रगट किया है। परन्तु सूरतसे प्रकाशित : जम्बूस्वामीचरित्र' में जम्बुस्वामिकी निर्वाण भूमि ‘मथुरा' १ देखो Arch. Surv. Rep. XV, V., 104 and 110. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522808
Book TitleJain Hiteshi 1914 Ank 10 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1914
Total Pages160
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Hiteshi, & India
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy