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ज्वालापुर महाविद्यालय और गुरुकुल कांगड़ी। ६०९
__ ब्रह्मचारी देखनेमें बड़े सुंदर स्वस्थ और प्रसन्नचित्त मालूम होते हैं। उनकी आकृतिसे मालूम होता है कि एकदिन ये लोग बड़े विद्वान् होंगे और इनके द्वारा आर्यसमाजके सिद्धांतोंका बहुत प्रचार होगा । बच्चोंमें आपसमें बड़ा प्रेम है। पढ़ने लिखनेकी तरफ विशेष रुचि है । पाठ्य पुस्तकोंके अतिरिक्त अन्य पुस्तकें भी बड़े प्रेमसे पढ़ते हैं।
इस विद्यालयका प्रबंध भी बहुत प्रशंसनीय है। बच्चोंके चरित्रगठनकी ओर प्रबंधकोंका विशेष ध्यान है । ब्रह्मचर्यकी पूर्ण रूपसे रक्षा कराई जाती है । खेल कूद और व्यायामका भी पूरा पूरा खयाल रक्खा जाता है। विद्यालयके पास ही नहर है जिसमें बच्चे खूब तैरते हैं।
पाकशाला, यज्ञशाला. तथा स्नानागार बड़े ही उत्तम और उचित रूपसे बने हुए हैं। भोजनशाला इतनी बड़ी है कि उसमें एक साथ ७०, ८० ब्रह्मचारी बैठकर भोजन कर सकते हैं। वह इतनी साफ़ रहती है कि कहीं एक तिनका भी दिखलाई नहीं देता। यज्ञशाला इतनी विशाल है कि १००-१५० व्यक्ति चारों ओर बैठकर आनंदसे हवन कर सकते हैं । स्नानागार भी इतना विस्तरित है कि ४०, ५० विद्यार्थी एक समयमें स्नान कर सकते हैं । फरश तीनों स्थानोंका पक्का बना हुआ है । पानीसे धो डालनेसे सब -साफ हो जाता है। .. यहाँका औषधालय भी विशेष रूपसे उल्लेखनीय है। जो वैद्य यहाँपर हैं बे बड़े ही योग्य और अनुभवी हैं और इतने प्रसिद्ध हैं
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