Book Title: Jain Dharm me Aachar Shastriya Siddhant Part 02
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Jain Vidya Samsthan
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तत्त्वार्थसूत्र के अनुसार छोड़े हुए आवास और एकान्त स्थान जैसे गुफा आदि में ठहरना, और दूसरे व्यक्ति जो ठहरने का इरादा रखते हैं उनको मना न करना और भोजन की पवित्रता को बनाए रखना और झगड़ालु आदत न रखना अस्तेय महाव्रत में सम्मिलित किये गये हैं।61
. (iv) ब्रह्मचर्य महाव्रत- ब्रह्मचर्य महाव्रत का धारक मुनि महिलाओं से कामसंबंध को त्याग देता है और साथ में काम-संतुष्टि के लिए अप्राकृतिक तरीकों को भी पूर्णतया नकार देता है। ब्रह्मचर्य महाव्रत का पालन करनेवाला मुनि इन्द्रियआसक्ति , कषायोत्तेजक एवं आवश्यकता से अधिक भोजन करना, नाच-गान में रस लेना एवं उत्तेजनाजनक आवास आदि को भी त्याग देता है।63
(v) अपरिग्रह महाव्रत- अपरिग्रह महाव्रत में मुनि अंतरंग अशुद्धता से और बाह्य चेतन एवं अचेतन परिग्रह से अपने आपको दूर
61. सर्वार्थसिद्धि, 7/6
चारित्रपाहुड, 34 मूलाचार, 292 आचारांग, पृष्ठ 2/15/4 ज्ञानार्णव, 11/7, 8, 9 अनगार धर्मामृत, 4/61 मूलाचार, 996, 997, 998 भगवती आराधना, 879, 880 उत्तराध्ययन, 16/1-10
63.
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