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( २१ ) , ___ जब लौकिक कार्यों में ऐसी दशा है सो भखा धर्म विषय तो कहना ही क्या है। जैसे कि-घर के काम काज, हमें विना देखे न करने चाहिएँ । खान पान के पदार्थ भी विना देखे ग्रहण न करने चाहिएं । जैसे कि-शरी बहुत सी बातें ! दाल, शाक, वा चुन्म, शादि के पकाते समय, कोड़ी, मुसी, आदि जीवों को न देखती हुई उन्हें भी शाक धादि पदार्थों के सायही प्राणों से विमुक्त करदेती हैं। जिससे खाना टीक नहीं हता पौर कई प्रकार के रोग उत्पन्न हो जाते हैं। घर मेरी प्यारी वानो ! हमें हर एक कार्य में प्रावधान रहना चाहिये । हमारा पतिव्रत धर्म सकिष्ट है जैसे हम एक प्राणी को अपने जोन की इच्छा रहती है। उसी प्रकार हम को अपना जीवन भी पवित्र बनाना चाहिये । जिससे जिहम औरों के लिये श्रादर्श रूप वन जायें। पवित्र जीवन धर्म से ही 'चन सकता है सा हम को धर्म कार्यों में मालस्य न करना चाहिये। वलकि-सम्बर, सामायिक, पतिक्रमण पौषध, दया, भादि शुम क्रियाएँ करनी चाहिये मुनि महाराजों के वा साध्वियों के. नित्यप्रति दर्शन करने वाहिये और उन के व्याख्यान नियम