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होरही है वह अवश्य शोचनीय है कारण कि हमारी स्त्री समाज अशिक्षित प्रायः बहुत है इसी कारण से वा अवनति दशा को प्राप्त हो रही है जो पूर्व समय में जिस स्त्री को रत्न कहा जाताथा आज वह स्त्रीस्त्रीसमाज में भार रूप हो रही है उसका मूल कारण यह है किमेरी बहनें ! अपने कर्तव्यों को भूल गई है केवल 'शेप 'पति से लड़ाई 'अति दृष्णा सासू से विरोध' तथा जो पडोसी हैं उनमे अनमेल सदा रखनी है -सारा दिन घर के काम काज को छोड़ कर व्यर्थ निंदा, चुगली, हर एक बात में छल व झूठ इत्यादि व्यर्थ वातों में दिन व्यतीत करती हैं।
जो शास्त्रीय शिक्षाओं से जीवन पचित्र बनाना था सन को छोड़ ही दिया है भला पति से कलह तो रहता ही या साय हो जो सतान उत्पन्न हुई है उस के साय भी पाव अच्छा देखने में कम साता है जैसे-पुत्रों को प्रोग्य, गालिये देना, कन्याओं को मन वचन बोलने, गर्भ रक्षा की यह दशा देखने में आती है शिचुल्ले की मिट्टी, कोपले, स्वाहा, कारक, पवित्र पदार्थों