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मीयत, मुम्बी भी की मार पाठ, साना में मग किया सामाप, मे, पस पान को देसा का मावि
गए मोर जज पामोडी, पोसवा देग पर परकी मसम्म इमे सेकड़ों पम्पापं निनस्वदि ,मनोहर सर से गा रही पत सी कन्याएं पर्म शास्त्र की पाई। पारितोपिक खेसी है भी मामान मापीर स्वामी की भय मोख ही है।
माठ समाप्त होने के पीछे एक "रस्वती नाम पानी पम्मा ने मिनेन्द्र स्तुति पही। परन्त मसी स्तदि म मनप्प मापन के पोश पर फोह (पिष) सीप दिया मिस स पसन का पारितोपिक मी प्राप्त मिपास
पमात् एक कन्या पप्रापती मे सहार स्त्री समाज दीभार पश्य र निम्न पकार 'से' भपमे सस से जगार निकाशे, मैमे कि
प्पारापमाप मोपामसी मासि मातम ही है-माम एफ मरा शुग दाभो पति पर्व में या तीन पा पार माया इसतमारी पार्पि, परीचा
की नली समान को पवेपन में माया