________________
इसी कारण उसकी भाभी ने स्यालनी बनकर बदला चुकाया और जब उन्होंने सही पुरुषार्थ 'जगाया तो वही सुकमाल सर्वार्थसिद्धि में अहिमिन्द्र हो गये। 8. सुभौम चक्रवर्ती ने पानी में णमोकार मंत्र लिखकर महामंत्र की अविनय की। ऐसे गलत
पुरुषार्थ के कारण सातवें नरक गया। 19. ब्रह्मदत्त चक्रवर्ती ने जंगल में जाकर शिला को तपाया, उस शिला पर मुनि आकर बैठ गये,
इस प्रकार उसने मुनि पर उपसर्ग किया, गलत पुरुषार्थ के कारण नरक गया। 10. अंजना ने सौत से विरोध करके 22 पल के लिए प्रतिमा जी को छिपाकर गलत पुरुषार्थ
किया, इसलिए 22 साल तक पति का वियोग सहा। 11. राजा श्रेणिक ने यशोधर मुनिराज के गले में सर्प डाला, इस गलत पुरुषार्थ के कारण सातवें
नरक का बन्ध हुआ। जब उसने सम्यग्दर्शन प्राप्त किया तो उत्तम पुरुषार्थ के कारण सातवें नरक से हटकर पहले नरक का बन्ध हुआ। किन्तु उचित पुरुषार्थ से वही श्रेणिक भावी चौबीसी में महापद्म नाम का प्रथम तीर्थंकर होगा। जिसकी आयु 116 वर्ष होगी।
___ आत्मा का पुरुषार्थ ॥ 1. चाहे कितना सुन्दर या चतुर कारीगर हो, तो भी दो घडी में मकान तैयार नहीं कर सकता।
किन्तु यदि मनुष्य पुरुषार्थ करे तो दो घड़ी में आत्मा को जानकर उसमें लीन हो केवली
बन सकता है। 2. आठ वर्ष का बालक भारी बोझ नहीं उठा सकता, किन्तु यथार्थ समझ के द्वारा, आत्मा ॥ की प्रतीति करके कैवल्य को प्राप्त कर सकता है। 3. आत्मा का पर द्रव्य से कोई परिवर्तन नहीं हो सकता, किन्तु स्वद्रव्य में पुरुषार्थ के द्वारा
समस्त विभावों को नष्ट कर सम्यग्ज्ञान को प्राप्त करके केवल ज्ञान को प्राप्त कर सकता
4. स्व पुरुषार्थ से आत्मा सम्पूर्ण स्वतंत्र है किन्तु पर में कुछ करने की आत्मा में किंचित् मात्र
भी सामर्थ्य नहीं है। 5. आत्मा में इतना स्वाधीन पुरुषार्थ विद्यमान है यदि वह उल्टा चले तो दो घड़ी में सातवें
नरक में पहँच सकता है और यदि सीधा चले तो दो घड़ी में केवलज्ञान प्राप्त करके मोक्ष प्राप्त कर सकता है।
आत्म पुरुषार्थ वह है, जो कल के पुरुषार्थ को आज भगवान बना दे। जैसे-अंजन चोर ने पुरुषार्थ जगाया और उसी भव से मोक्ष चला गया। अगर पुरुषार्थ हीन होंगे तो कायर हो जाएगें
-
(
34
-