Book Title: Jain Darshansara
Author(s): Narendra Jain, Nilam Jain
Publisher: Digambar Jain Mandir Samiti

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Page 439
________________ , हों, कहीं पर कालिख आदि न लगी हो ऐसे सूखे बर्तनों को प्रासुक जल से धोकर पोंछकर ही चौके में प्रयोग करना चाहिए। इस प्रकार उपर्युक्त बातों को ध्यान में रखकर ही द्रव्य लगाना एवं बनाना चाहिए। शुद्ध द्रव्य होगा तो इसका प्रभाव साधु-व्रती पर भी पड़ता है और यदि अशुद्ध द्रव्य होगा तो उसका प्रभाव भी पड़ता है। क्षेत्र शुद्धि-1. इस शुद्धि के अन्तर्गत गृह और भोजनशाला का वह सभी क्षेत्र आ जाता है, जहाँ से प्रवेश कर साधु चौके में पहुंचते हैं। इस जगह को जीव-जन्तुओं और बाल आदि अपवित्र वस्तुओं से रहित बना लेना चाहिए। 2. आहार जिस स्थान पर होना है, उस स्थान पर प्राकृतिक प्रकाश की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। साधु-व्रती को भोजन शोधने में परेशानी नहीं होनी चाहिए। 3. भोजनशाला (चौका) के आस-पास शौचालय नहीं होना चाहिए। 4. जहाँ भोजन तैयार किया जा रहा हो तथा जहाँ साधु-व्रती को आहार कराया जाना है वहाँ ऊपर चँदोवा बँधा होना बहुत आवश्यक है। एक दृष्टान्त है मछुआरे का जाल ____एक समय एक सेठ ने मछुआरे को पाँच रूपये दान में दिये। वह मछुआरा पाँच रूपयों की रूई खरीद कर सूत कात लेता है, और उसका मछली पकड़ने का जाल बना लेता है। वह मछुआरा इस जाल से मछली पकड़ने लगता है। इधर सेठ जी के कुछ पाप का उदय आता है। कुछ समय बाद इसी नगरी के अन्दर एक निमित्त ज्ञानी मुनिराज आते हैं। सेठ जी उनसे पूछते ॥ हैं कि-"आजकल मेरे पाप का उदय क्यों चल रहा है? इसका क्या कारण है?" मुनिराज उत्तर देते हैं कि-"तुमने जो दान दिया वह सोच-समझकर नहीं दिया है। तुम्हारे दिए हुए पैसे से मछुआरे ने जाल बनाकर मछली पकड़ी है। वही पाप, उदय में चल रहा है।" इसलिए दान उत्तम क्षेत्र में करना चाहिए जिससे उसका सदुपयोग हो। ___कालशुद्धि-सूर्योदय के 2 घड़ी बाद (48 मिनट) तथा सूर्यास्त होने के 2 घड़ी पूर्व तक का काल शुद्ध माना गया है। इस काल में ही सभी भोजन की वस्तुएँ बनानी चाहिए। इसके अतिरिक्त आहार चर्या के समय आहार देना, गर्मी में गर्म वस्तु नहीं देना, सर्दी में ठंडी वस्तु नहीं देना आदि कालशुद्धि के अन्तर्गत आता है। जो श्रावक आहार चर्या के समय अर्थात् प्रातः 9. 30 से 11.00 बजे तक मुनिराज को नहीं पड़गाहाता है। उसके कालशुद्धि के न होने से क्या दशा होती है, यह निम्न दृष्टान्त में समझाया गया है। 420

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