Book Title: Jain Darshan me Trividh Atma ki Avdharana
Author(s): Priyalatashreeji
Publisher: Prem Sulochan Prakashan Peddtumbalam AP
View full book text
________________
श...तुझका ...
समर्पण...
हे संयम साधिका ! तत्त्व रसिका! वशिमालानी उद्धारिका ! पार्श्वमणि तीर्थ प्रेरिका !!
__ जीवन प्रभात हो तुम्हारा नवोदित ! संयम रश्मि तुम्हारी पाकर मन आंगन है प्रमुदित !!
हे उज्जवल कुमुदिनी ! त्यागी तपस्विनी ! __परमात्म भक्ति से जीवन है सराबोर !! तुम कृपा दृष्टि से हरपल पाऊं स्वर्णिम भोर !
शोधग्रंथ पूर्णाहुति में नृत्य करे मन मोर !! शुभाशीष गुरु की पाकर खुला है मुझ भाग्य डोर ! हे वात्सल्य वारिधि ! अध्यात्म प्रवाहिनी !
सत्प्रेरणा निरंतर तुम अमी वर्षिणी ! हे स्नेह सुधा मंदाकिनी ! सर्वस्व प्रणम्य तुझ चरणे अर्पण !!
समर्पण...समर्पण...समर्पण...!!! करूणामूर्ति, जीवनोपकारी, परम पूजनीया गुरुवर्या श्री सुलोचनाश्रीजी म.सा. एवं वर्धमान तपाराधिका, अध्यात्मद्रष्टा परम पूजनीया श्री सुलक्षणाश्रीजी म.सा. के
पावन...पवित्र...पाद्...प्रसूनों में सादर समर्पित...
साध्वी प्रियलता श्री
-
% 3D
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org