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जैन-दर्शन के नव तत्त्व
वहाँ शून्य, मौन भाव और अखंड शांति होगी। वहाँ किसी भी प्रकार के विकल्प नहीं उठेगे और आत्मा स्व-स्वरूप में पूर्णतः स्थिर होगा। इस निष्कर्ष अवस्था को जैन दर्शन ने “शैलेषी अवस्था" कहा है। यहाँ केवल ज्ञान ही शेष रहता है।
'केवल ज्ञान' यानी जहाँ ज्ञाता और ज्ञेय पदार्थ रूप भेद ज्ञान नहीं, वरन् केवल ज्ञान ही होता है। वह अनंत ज्ञान ही दर्शन और चारित्र को अपने में समाविष्ट कर लेता है। निर्वाण प्राप्त हुआ व्यक्ति सर्वज्ञ और निःसंशय तो पहले से ही होता है। फिर सिर्फ केवलज्ञान, केवल दर्शन, केवल सौख्य और केवल वीर्य (शक्ति) विद्यमान रहते हैं, और इसे ही 'अनन्त चतुष्टय' कहते हैं। बाकी बचे अस्तित्व, अमूर्तत्व और सप्रदेशत्व आदि जो गुण हैं, वे भी आत्मा के निजगुण हैं। ये ही बाते 'धम्मद' में दिखाई हैं।
जैन दर्शन में, मोक्ष में आत्मा की स्थिति अव्याबाध बताई गई है। तात्पर्य यह है कि निर्वाण होने पर सब बाधाओं का अभाव होता है। क्योंकि आत्मा के निजगुण वहाँ पूर्णरूप से प्रकट होते हैं। 'निर्वाण' आत्मा की परिपूर्ण विकसित दशा है। परंतु उसका कथन शब्दों द्वारा किया नहीं जा सकता। इन्द्रियों द्वारा वह ग्रहण भी नहीं किया जा सकता। इसलिए विविध दर्शन उसे अनिर्वचनीय, अव्याकृत, अव्याख्येय और अमूर्त होने से अग्राह्य कहते हैं।
निर्वाण होने पर जो स्थान आत्मा को स्वाभाविक रूप से ऊर्ध्वगमन के कारण प्राप्त होता है५२ उसे जैन शास्त्र में "सिद्धशिला" तथा गीता में “परमधाम, मोक्ष, मुक्तिस्थान" आदि नामों से संबोधित किया गया है। निर्वाण यह आत्मा की पूर्ण विकसित स्थिति है, इसमें कोई शंका नहीं है। इसलिए जीवन का अंतिम ध्येय और चरमप्राप्ति निर्वाण ही है।
जिसे अनंत ज्ञान प्राप्त होता है, उसे सूर्य, चंद्र आदि प्रकाशयुक्त पदार्थों की आवश्यकता नहीं रहती। जमीन, पानी, हवा आदि की भी ज्ञान के लिए आवश्यकता नहीं रहती क्योंकि वहाँ केवल ज्योतिर्मय चैतन्य है, आत्मद्रव्य है, शरीर नहीं है।५३ द्रव्यमोक्ष और भावमोक्ष : मोक्ष के दो भेद बताए गए हैं : १) द्रव्यमोक्ष और २) भावमोक्ष।
जीव जब घाती कमों से मुक्त होता है, तब उसे भावमोक्ष की प्राप्ति होती है ज्ञान के लिए और जब अघाती कमों को नष्ट करता है, तब उसे द्रव्यमोक्ष की प्राप्ति होती है।
द्रव्य और भाव इन भेदों से मोक्ष दो प्रकार का है। क्षायिक ज्ञान, क्षायिक दर्शन और यथाख्यात चारित्र नामक जिन परिणामों से घाती कर्म आत्मा से दूर
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