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जैन-दर्शन के नव तत्त्व
भौतिकता में नही है। इसलिए नवतत्त्वों का ज्ञान और उसमें भी जीव तत्त्व का ज्ञान विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
यहाँ जीवतत्त्व के विवेचन का हेतु यही है कि जीव के भेद और स्वरूप को समझकर सबको जीवों का रक्षण करना चाहिए। हमें जैसे सुख प्रिय है, वैसे ही वह सब जीवों को भी सुख प्रिय होता है। इसलिए अपने समान सब जीवों का रक्षण करें। किसी को भी मरना पसंद नहीं होता, सब को जीवित रहना ही अच्छा लगता है।
__'सव्वे जीवावि इच्छंति जीविउं न मरिज्जिउं'।"
इसलिए भगवान महावीर को कहना पड़ा कि चींटी से लेकर हाथी तक सबको जीवन प्रिय है। इसलिए किसी भी जीव की हिंसा नहीं करना चाहिए।
प्राणिमात्र को सुख की इच्छा होती है, दुःख कोई भी नहीं चाहता। थोड़ा-सा संकट आते ही मनुष्य परमात्मा की याद करने लगता है। इसका अर्थ यह है कि हमें दुःख नहीं चाहिए। परंतु जो सुख हम चाहते हैं वह सुख क्षणिक नहीं होना चाहिए। दूसरों के दुःख से मिलनेवाला सुख नहीं होना चाहिए, क्योंकि ऐसा सुख असली सुख नहीं होता। यदि एक दूसरे को दुःख देकर सुख प्राप्त करना चाहोगे तो परिणामतः कोई भी सुखी नहीं होगा। इससे तो सब अपना दुःख ही बढ़ाएँगे। यदि हम ने एक को भी दुःखी कर सुख की इच्छा की तो दूसरा हमें दुःखी करके सुख प्राप्त करना चाहेगा, इस प्रकार दुःख ही बढ़ता है। सुख नहीं बढ़ता। इसलिए इस शाश्वत सुख का सही मार्ग भगवान महावीर ने साढ़े बारह वर्ष जंगल में रहकर और अनार्य देश में भ्रमण करके ढूंढ निकाला। उन्हें जो मार्ग मिला उसके संबंध में उपदेश देते समय उन्होंने कहा है - 'सच्चा सुख अगर कहीं होगा तो वह अहिंसा में है, सभी से प्रेम करने में है। इसका मूल सूत्र बताते समय उन्होंने कहा “जीओ और जीने दो " Live and Let live.
एक तरफ भगवान ने यह बात दुनिया के सामने रखी तो दूसरी तरफ कुछ लोगों ने “जीवो जीवस्य भोजनम्' अर्थात् जीव ही जीव का भोजन है, यह बात भी कही।, अर्थात् एक जीव दूसरे जीव के आधार के बिना जीवित ही नहीं रह सकता। अगर अहिंसा का मार्ग ही सही मार्ग है, तो एक का जीवन दूसरे के जीवन का आधार कैसे बनेगा ? इसमें अहिंसा कैसे रहेगी ? ऐसा प्रश्न लोगों के मन में आना स्वाभाविक ही है। इस प्रश्न का उत्तर एक अंग्रेज लेखक ने अपनी भाषा में 'Living is Killing' 'जीना मारना है' ऐसा दिया है। इस प्रश्न के उत्तर में हमारे तत्त्वचिन्तकों ने कहा है कि 'जीना मारना' यह बात सही है, परंतु यह मानव का धर्म नहीं है। मनुष्य का धर्म तो ऐसा है कि वह कम से कम हिंसा कर ज्यादा से ज्यादा अहिंसा का पालन करे। इस संबंध में अंग्रेजी में Killing the
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