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जैन-दर्शन के नव तत्त्व
जाये तो बाकी बचे आठ तत्त्व सूर्य के चारों ओर भ्रमण करने वाले ग्रहों के समान हैं, इस पर से इस तत्त्व की श्रेष्ठता ध्यान में आएगी।
प्रायः भारतीय दर्शनों का विकास एक आत्म-तत्त्व को केन्द्रबिंदु मानकर हुआ है। भगवान महावीर ने कहा है
'जे एगं जाणइ से सव्वं जाणइ'२ जो एक आत्मतत्त्व को जानता है, वह सब कुछ जानता है। इसपर से जीवतत्त्व का महत्त्व स्पष्ट होता है। बृहदारण्यक उपनिषद में भी यही बात बताई
'आत्मनि विज्ञाते सर्वामिदं विज्ञातं भवति।३ एक आत्मतत्त्व को जान लेने पर सब कुछ जान लेने जैसा है। भारतीय दर्शन यह एक आध्यात्मिक दर्शन है। भारतीय दर्शन में आत्मा के महत्त्व को सदैव स्वीकार किया गया है। यधपि आज विज्ञान का युग है और प्रचुर भौतिक सुख-सुविधाएँ उपलब्ध है, फिर भी आध्यात्मिक प्रगति के बिना मानव को सुख नहीं मिलेगा, यह निश्चित है, आत्मिक शांति नहीं मिलेगी।
हमने जीवतत्त्व नामक अध्याय में जीव का विस्तृत वर्णन किया है। भारतीय दर्शनों की दृष्टि से जीवतत्त्व और जैन दर्शन की दृष्टि से जीवतत्त्व को स्पष्ट करने का पूर्ण प्रयत्न किया है। फिर भी नौ तत्त्वों पर लिखा गया यह शोध प्रबंध अर्धविराम ही है, पूर्णविराम नहीं है, ऐसा ही कहना पड़ेगा। इसका कारण यह है कि भारतीय दर्शन 'नेति नेति' - यानि जितना हम कहते हैं, वही सब कुछ नहीं है ऐसा मानता है। उसके समक्ष भी अनंत सत्य है, कर्तव्य का अनंत क्षेत्र है। अगर हमने इस शोध-प्रबंध को 'इति इति' समझ लिया तो बड़ी गलती होगी, इसलिए इसे 'इति' न समझकर 'नेति' समझना चाहिए।
नवतत्त्वों में ‘जीव तत्त्व' यह एक तत्व ऐसा है जो मानव को परमतत्त्व की प्राप्ति करा सकता है। जीवतत्त्व यह अनंत शक्ति का प्रतीक है। उसका महत्त्व जाननेवाले व्यक्ति को ऐसा निश्चित लगता है कि इस पूरे संसार में जीव के अलावा जो साधन हैं, वे सारे नाटकीय हैं।
नट बास के सहारे बंधी रस्सी पर अपनी करतब दिखाता है। परंतु थोड़ी ही देर बाद उसके सामने यह प्रश्न उपस्थित होता है कि मैंने जो करतब दिखाये, क्या वे सचमुच मेरे थे? इसका उत्तर 'नहीं', ऐसा ही मिलता है।
चैतन्य या ज्ञान यह जीव का लक्षण है। जीव यह ज्ञान, दर्शन, चारित्र-इन गुणों से एक दृष्टि से अभिन्न और दूसरी दृष्टि से भिन्न है। अभिन्न कहने का कारण एकेन्द्रिय, द्वीन्द्रिय, पंचेंद्रिय आदि कुल चौदह प्रकार के जीवों मे उनकी योग्यतानुसार ज्ञान, दर्शन और चारित्र होता ही है, इसलिए अभिन्न है।
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