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Max, 1876.]
SANSKRIT AND OLD CANARESE INSCRIPTIONS.
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TRANSCRIPTION.
First plate ; first side. [1] जितम्भगवता [1] स्वस्ति श्रीविजयदशनपुरायथाव[2] दभ्यचितदेवताब्राह्मणगुरुवृद्धस्य
. शक्तित्रय[93 वृद्धस्य
महात्मनस्स्वभुजद्रविणार्जितोदारभोगभुजः
First plate; second side. [ पृथिवीतलैकवीरस्य महाराजश्रीवीरवर्मणः प्रपौत्रः [5] समर शतकरण समधिग* तामृत प्रता पस्य विद्या वृद्ध. [0] स्यानन्तकल्पपदायिनों नन्तकल्पस्य गुणमहतो महाराज
Second plate ; first side. [7] श्रीस्कन्दवर्मणः पोत्रो न्येषां यशोभिरग्रथितेनिशाकर[8] कर निकर गौरैर्य शो भि ा त लोक स्य विद्या वि नी ता[0] त्मनो महानुभावस्य युवराजश्रीविष्णुगोपस्य पुत्रस्तप्तसा
Second plate ; second side. [10] म न्त मण्डले ना मतिमा भिस्सज्ज नेष्टा भिश्चेष्टा भिरहरहरेध. [11] मानेन महता प्रतापेन व्याप्तलोको लोकोपचयम.[12] वृत्तसारम्भ स्समग्र व सुधा त लै क विजिगीषुर्भगवत्पादानु
Third plate ; first side. [13] [या तो बप्प भट्टा र कपाद भक्तः परमभा गवतो [14] भ (भा) र दाजः परमो दा त्ताव या नाम् स्वभुजद्र विणा[11जित मथि त म तिष्ठि ता दूत य श स य था व दाता ने क
Third plate ; second side. [18] तूनां शतक्रतु कल्पा ना म् श्री वल भा ना म्प ल वा ना न्ध[17] र्म म हा राज (ब:) श्री सिंह वर्मा वेङ्गो राष्ट्रे मा. [18] डू (?दू ) मे ग्रामे य का सर्वाध्यक्ष वल्लभ शासन सञ्चा
Fourth plate ; first side. [19] रि ण श्वा ज्ञा प य त्ये तं का म मा त्रे या या प स्त म्भी या य [20j रुद्र शर्मणे वा त्स्या या पस्त म्भी या य तू (नू ) के शर्म णे [A] को शिका याप स्तम्भी या य दाम शर्म णे भा र दा ना या प
Fourth plate; second side. [29] स्तम्भीयाय यज्ञशर्मणे पाराशायापस्तम्भीयाय [28] भव को टि गो पाय का श्य पाय वा ज स ने यि ने [24] भर्तशर्मणे औदमेघये। छन्दोगाय शिवदत्ताय च
- The vowels of these two letters,-श्रीवि,-are just din cernible in the facaimile copy with me, bat will probably be lost in printing
. This letter,-ग,-wa at firet omitted in the original and then inserted below the line.