Book Title: Harichand Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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(१७) सघली वाते सोहिलो जी, तापस दे श्राशीष ॥ सूअर एक अमारडेजी, थरि सबलो अवनीश॥ ॥७॥ म ॥ मारि ताडि दूरे करोजी, माख्या तापस चार ॥ नव तापसिणी संहरी जी, दशमि महारी नार ॥ ए॥ म ॥ वारु राये वीनव्यो जी, तेहने दीधी शीख ॥ जे तुमने नित्य मुह वेजी, तेहने हुँ उलीख ॥ १० ॥ म ॥ तापस श्राश्रम बावियोजी, राय चढ्यो ततकाल ॥ते व नमांहि आवियो, चतुरंग दल नूपाल ॥ ११ ॥ ॥म०॥दीगे सूवर दोडतोजी,जरि करि मूक्यो बाण ॥ गरज सहित हरणी हणी जी, चिंता पडि असमाण ॥ १२॥ म०॥पहिली केदारा तणीजी, दाखी ढाल रसाल ॥ कनकसुंदर मन रंजिया जी, सांजलि बाल गोपाल ॥१३॥ म०॥
॥दोहा॥ ॥मंत्रिप्रत्ये राजा कहे,मतिसागरसुण वात॥ में पातक महोटुं कियुं, अधर्मनो अवदात ॥ ॥ १॥ ए पातक किम बूटशे, की, खोटं का
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