Book Title: Harichand Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 95
________________ (ए३) पहेली वेचीरे तुजने वालही, राणी पड़ी रे वेचा णा हूं॥बेहु बराबर उतयां,राणी रोष करे जे णे तूं ॥ का ॥३॥ राणी फुःख मांहे दुःख संपना, राणी मुजने तुजविण जेह ॥ ते मन जाणे माहरूं, राणी कहे परमेश्वर तेह ॥ का ॥४॥ नयन कमल दल सुंदरी, राणी आज निःफल सवि श्राश ॥ न्हानडीये मरते वली, राणी आ शा हु रे निराश ॥ का ॥ ५॥ शुं कीजें हो साहिबा, कंता कर्म तणी गति क्रूर ॥ मुख कहे तां श्रावे नहीं, कंता पुःख दीगं जरपूर ॥का॥ ६॥तरता थाग न पामीयें, कंता फुःख सागर नो पार ॥ ज्यं परमेसर निबंधीयं, कंता न मटे तेह लगार ॥का॥७॥ नारी खमी तुं नामिनी, राणी तुजमां राग नरोष ॥ महीयल तुं मोहोटी सती, राणी सघलो माहरो दोष ॥ का॥७॥ ढाल कही नवमी, नली राणी हर्ष घणो मन आ ण ॥ कनक सुंदर हवे बोलशे, राणी देव आका शे वाण ॥ का ॥ ए॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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