Book Title: Harichand Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 99
________________ (ए) ॥१॥श्रावीने उनो रह्यो, रत्न मुकुट उर हार॥ काने कुंमल जलहले, सूर ज्युं ज्योति अपार ॥२॥ ॥ ढाल अगीआरमी॥ राग महार ॥ जीहो कुंवर बेगे गोखडे ॥ ए देशी ॥ ॥ जीहो इण अवसर तिहां श्रावीयो, लाला जनकत कंमल कान॥जीहो मस्तकें मकट सोहा मणो, लाला सुंदर तन सुझान ॥१॥महीपति, ख मजो अम अपराध ॥जीहो फुःख विविध परें में दीयो, लाला अधिक करी आबाध ॥मही॥२॥ जीदो इंच सजामा एक दिने, लाला बेगे उलट आण ॥ जीहो सत्य वखाण्यो ताहरो, लाला में नवी मान्यो जाण ॥ मही० ॥३॥ जीहो बलबल करी बहु वेदना, लाला में कीधी सवि एह ॥ जीहो दाय उपाय कीया घणा, लाला तुं नवी चूको तेह ॥ मही० ॥४॥ जीहो बेदन नेदन ताडना, लाला पामी तें नर पूर ॥ जीहो कसणी कसी में करी, लाला से ना जेम सनूर ॥ मही० ॥५॥ जीहो प्रत तुं Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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