Book Title: Harichand Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 104
________________ (१२) बे कर जोड ॥ हाव नाव करी बोली, मुनि पूरो मुक कोड ॥ १० ॥ जन्म सफल कर सरिसा, स रस मल्यो संयोग ॥ वर्ष एक तुम बाना, राखुं विलसो लोग ॥ तुमे तरुण वय यौवन, हुं पण बालक वेश ॥ बीजो को नही जाणशे, राजा न गर नरश ॥ ११ ॥ प्रथम ढाल पूरे कर, साधु पड्यो जंजाल ॥ श्म सुणी मुनिवर पाग, बाहु लीया तत्काल ॥राणी पागल दोडी, दीधा म हेल कमाड, कनकसुंदर कहे इणी परें, प्रीत न थाये माड ॥ १५ ॥ ॥दोहा॥ ॥राणी बोले ऋषि सुणो, मकरो हह अनं त ॥ बन्ने नही तो एक पण, विलसो जोग महंत॥ ॥ ढाल बीजी॥राग कालहरो॥रामग्री॥ रूडा रामजी नगर सूनो इण मेलीरे॥ए देशी॥ ॥ साधु कहे सुण माता गंगा, तुं ने मात स मान रे ॥ ताहरे पुत्र थकी अमे अधिका, हक किश्यो अशमान रे॥१॥ मोरी माताजी जावाद्यो Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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