Book Title: Harichand Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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( १११ ) ॥ मुनि० ॥ दौं दौं वाजीरे गगने झुंडुही, गाजंती धनघोर ॥ मुनि० ॥ वडो० ॥ १४ ॥ ॥ ढाल बही ॥ राग केदारो गोडी ॥ सेर सोना की उजली घडी दे चतुर सुजाण ॥ ए देश ॥ ॥ हरिचंदनी चोपाई, ती नीकी नवरंगी ॥ चंगी चोपाइ ॥ सुगुण होवे ते सांजले, उलट आणी अंग ॥ चंगी० ॥ १ ॥ सरस विसाणो श्रावको, पामीजे विण दाम ॥ चं० ॥ मोहन वेली चोपई, नाम तिस्यो परिणाम ॥ चं० ॥ ॥ २ ॥ खाण रतन हीरा तणी, प्रगटी पुण्य प्र माण ॥ चं० ॥ आदर करजो एहने, मुक्ति त णा फल जाण ॥ चं० ॥ ३ ॥ राग बत्रीशे जू जुश्रा, नवि नवि ढाल रसाल ॥ चं० ॥ कंठ वि ना शोने नही, ज्युं नाटक विए ताल ॥ चं० ॥ ॥ ४ ॥ ढाल चतुर म चूकजो, कजो सघ ला जाव ॥ चं० ॥ राग सहित आलापजो, प्र बंध पुण्य प्रजाव ॥ चं० ॥ ५ ॥ मरुधरदेश मही पति, जशवंत सबली हाक ॥ चं० ॥ सोजत स
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