Book Title: Harichand Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
View full book text
________________
(१०१) वजे कर्म, कीया तस एह विचार ॥५॥ कर्म प्र माणे जोगवे,प्राणी फुःख अपार ॥ पूर्व दिशें श्रम रावती, नयरी जोयण बार ॥ अमरसेन राजा ति हां, पाले वरण अढार॥पटराणी अमरावती, मं त्रीश्वर मतिसार ॥६॥ अतुलीबल अलवेसर,रा जेसर अवनीश ॥ तेज प्रतापें दिनपति, नरपति विश्वावीश ॥ एक दिवस तिहां आव्या,दोय जति गुणवंत ॥ चारित्रीया वैरागी, महोटा साधुमहं त ॥७॥ मासी तप पारणे, मुनिवर श्राव्या तेह ॥ एणे अवसर तिहां जरमर, जरमर वरसे मेह ॥ नृप अंतेउर मंदिर, गोखतलें पहोंचेय॥ शरियावहि पडिकमवा, उन्ना मुनिवर वेय ॥७॥ सुरनर किंनीर दिणयर, अथवा पुरिसीह एम॥ कृषि दीगे राजानी,राणी मोही तेम ॥ सुंदर मं दिर रूप,पुरंदर सरिखे प्रेम॥नोग लोग रुषी साथै,राणी चिंते एम ॥ ए॥ दासी साथें बत्रह, देश बोलाया साध ॥राज जुवने बे श्राव्या,मुनि वर अकल अगाल ॥ आगध आवी उन्नी, राणी
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114